यूपी सरकार ने अब लोमड़ी और सियार जैसे जीव-ंजंतु के हमले में होने वाली मौत को राज्य आपदा घोषित कर दिया है। इसमें पीड़ित परिवार को 4 लाख का मुआवजा दिया जाएगा।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसले में लोमड़ी और सियार के हमले से होने वाली मृत्यु को राज्य आपदा घोषित कर दिया है। अब इन जानवरों के काटने से किसी की जान जाने पर पीड़ित परिवार को ₹4 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। इस घोषणा के साथ ही, राज्य आपदा की श्रेणी में शामिल वन्यजीवों की कुल संख्या 11 हो गई है।
राज्य सरकार पहले से ही मगरमच्छ, हाथी, गैंडा, बाघ, शेर, तेंदुआ, भेड़िया, लकड़बग्घा और जंगली सुअर जैसे 9 वन्यजीवों के हमले से होने वाली जनहानि पर ₹4 लाख का मुआवजा देती है। इन सभी जानवरों को 'मानव-वन्यजीव संघर्ष' की श्रेणी-1 में रखा गया है। वहीं, लोमड़ी और सियार को श्रेणी-2 में शामिल किया गया है।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली राज्य कार्यकारी समिति ने पिछले महीने लोमड़ी, सियार और मधुमक्खी के हमले से होने वाली मौतों को राज्य आपदा में शामिल करने की सिफारिश की थी। हालांकि, मधुमक्खियों के हमले और इमारत गिरने से होने वाली जनहानि को फिलहाल राज्य आपदा की श्रेणी में नहीं रखा गया है। शासन ने सुझाव दिया है कि पहले वन विभाग से यह पुष्टि की जाए कि मधुमक्खियां वन्यजीव की श्रेणी में आती हैं या नहीं। यदि वे वन्यजीव मानी जाती हैं, तो उनके हमलों को भी राज्य आपदा घोषित करने पर विचार किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही कई अन्य आपदाओं को राज्य आपदा घोषित कर चुकी है, जिन पर मुआवजा दिया जाता है। इनमें बेमौसम वर्षा, आंधी, तूफान, अतिवृष्टि, बिजली गिरना, लू प्रकोप, सर्पदंश, सीवर सफाई के दौरान हादसा, नाव दुर्घटना, बोरवेल में गिरना, कुएं में गिरना, गैस रिसाव, नदी, झील, नाला, गड्ढा, तालाब, पोखर, नहर, जल प्रपात में डूबकर होने वाली मृत्यु और सांड व नीलगाय के हमले शामिल हैं।
इन सभी आपदाओं में मुआवजा तभी दिया जाता है जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में संबंधित हमले से मृत्यु की पुष्टि हो। पोस्टमार्टम के बिना मुआवजे के लिए आवेदन स्वीकार नहीं किया जाता है।