हम भारतीय एक तरफ तो गंगा नदी को मां बोलते हैं, दूसरी तरफ उसमें कूड़ा कचरा भी फेंकते हैं, जो की गंगा का अपमान है
दुनिया का कोई भी देश अपने यहां की नदियों को मां नहीं मानता, लेकिन विदेशियों की यह विशेषता है कि वे उन नदियों को गंदा नहीं करते। वहीं हम भारतीय एक तरफ तो गंगा नदी को मां बोलते हैं, दूसरी तरफ उसमें कूड़ा कचरा भी फेंकते हैं, जो की गंगा का अपमान है। हमें इस मामले में पाश्चात्य देशों से कुछ सीखना चाहिए।'
दरअसल, हरिद्वार में केंद्र सरकार ने "आजादी का अमृत महोत्सव" के तहत गंगा उत्सव कार्यक्रम आयोजित किया था। इस आयोजन में गौतम खट्टर बतौर मुख्य अथिति मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने वर्तमान परिदृश्य की ओर इशारा करते हुए कहा जिस तरह युवा अपने सपनों को पूरा करते हुए भौतिक चीजों की तरफ खिंचे चले जाते हैं। उसी जगह वो अध्यात्म की ओर मुड़ जाए तो उससे उनका ज्यादा फायदा होगा।
उनका मत है कि हर किसी को अपनी जिंदगी में करियर, परिवार और दोस्तों के बीच सामंजस्य बिठाकर चलने की आवश्यकता है। इसका एक तरीका अध्यात्म के करीब पहुंचना भी है। इस अवसर पर मोटीवेशनल स्पीकर तरुण राज अरोड़ा गौतम को बधाई भी दी।
उत्तराखंड के पूर्व सीएम कर चुके है सम्मानित
गौतम खट्टर पेशे से वक्ता हैं। वह अपने मनःस्थिति को जाहिर करने में ज़रा भी हिचकिचाते नहीं हैं, साथ ही शान्ति से अपनी बात रखना पसंद करते हैं। कुछ महीने पहले ही उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गौतम खट्टर को सुभाष चंद्र बोस की 125वीं वर्षगांठ पर उनके भाषण के लिए सम्मानित भी किया था।
अमेरिकन महिला का लिया इंटरव्यू
गौतम खट्टर वक्ता के साथ-साथ यूट्यूब चैनल भी चलाते है, जहां उनके फॉलोअर्स की संख्या लाखों में है। इस चैनल पर उन्होंने कई हस्तियों और लोगों के साक्षात्कार भी लिए है। उनके द्वारा लिए गए साक्षात्कार में अमेरिका लॉस एंजेल्स से आई एक साध्वी ने बताया कि उनका जन्म तो अमेरिका में हुआ, लेकिन दिल पूरी तरह हिंदुस्तानी है। गौतम के पूछने पर उस विदेशी महिला ने अपना नाम साध्वी भगवती सरस्वती बताया।
उन्होंने आगे कहा कि वे आज से चौबीस वर्ष पूर्व पच्चीस साल की आयु में भारत आई थी। गंगा तट पर आने के बाद ही उनका जीवन बदल गया। उसके बाद उन्होंने सनातन धर्म में दीक्षा लेकर सन्यास ले लिया। उन्होंने ये भी बताया कि पहले उनकी पढ़ाई विश्व विख्यात स्टेनफर्ड यूनिवर्सिटी से हुई थी।
एक दूसरे इंटरव्यू में गौतम ने इंग्लैंड से आई साध्वी दिव्य प्रभा से बात की। जिनका पहले नाम लूसी गेस्ट था, उन्होंने बताया कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ने के बाद जब उन्हें संतोष नहीं मिला तो वह भारत आई। दसवीं से संस्कृत की पढ़ाई प्रारंभ कर दी। बाद में संस्कृत व्याकरण में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
महज 22 वर्ष के गौतम खट्टर को देखने वालों की तादाद लाखों में हैं। उनके चैनल को सिर्फ युवा ही नहीं बड़े बुजुर्ग भी पसंद करते है। इतना ही नहीं गौतम ने कुछ खास बच्चों का इंटरव्यू भी किया है, जिनमें क्रिस्टीना, देवांश, मीराया, भागवत, अभिनव अरोड़ा जैसे बच्चे शामिल हैं। इन बच्चों का झुकाव बचपन से ही भगवान की भक्ति में है।
3 साल के बच्चे से की बातचीत
एक इंटरव्यू में गौतम केवल 3 वर्ष के बालक भागवत से बातचीत कर रहें हैं, जिसे 3.5 मिलियन (35 लाख) से भी ज्यादा लोगो ने देखा है। गौतम ने एक इंटरव्यू में अभिनव अरोड़ा (8 वर्ष) से पूछा कि वो भगवान के प्रति इतनी कम उम्र में समर्पित कैसे हो गए। उसके जवाब में अभिनव ने कहा कि उसे और बच्चों की तरह वीडियो गेम खेलना पसंद नहीं है। बल्कि वह अपना खाली समय भगवान की भक्ति भजन सुनने और गीता रामायण जैसे पुराणों को पढ़ने में व्यतीत करते है।
सनातन धर्म की महत्ता पहुंचाना लक्ष्य
गौतम खट्टर ने एक पत्रकार को दिए अपने इंटरव्यू में बताया कि उनका लक्ष्य है कि हर व्यक्ति तक सनातन धर्म की महत्ता पहुंचे। जो भारतीय नौजवान अपनी संस्कृति को छोड़कर पाश्चात्य की तरफ आर्कषित हुए जा रहे हैं, वो सब अपने धर्म से परिचित हो।
गौतम का उद्देश्य एक ऐसे गुरुकुल की स्थापना करना है। जहां आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ प्राचीन शिक्षा का आभामंडल बन सके। इसके लिए उन्होंने सनातन महासंघ नामक एक संगठन की स्थापना भी की है।