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UP Election 2022: सत्ता पर काबिज होने के लिए राजनीतिक दलों ने छेड़ रखा है सुरो का संग्राम

UP Election 2022: वरिष्ठ राजनीतिक विष्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि चुनाव सियासी दलों का महोत्सव होता है। जनता को लुभाने के लिए राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशी तरह-तरह के गीत और नारे लाकर जनता को लुभाने की कोशिश करते हैं।

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Jan 12, 2022

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद सभी दलों का सियासी ताप बढ़ रहा है। सत्ता पर काबिज होने के लिए राजनीतिक दलों ने सुर संग्राम छेड़ रखा है। कोरोना की बंदिशों ने फिलाहाल राजनीतिक दलों के रैली, यात्राओं व अन्य कार्यक्रमों पाबंदी लगा रखी है। ऐसे में चुनावी गीतों के सहारे सभी दल विरोधियों को निशाने पर ले रहे हैं। सभी राजनीतिक दलों के लिए गायकों ने खास गीत तैयार किए हैं। सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी के लिए भोजपुरी सुपर स्टार दिनेश लाल निरहुआ ने कई गीतों के माध्यम से विपक्षियों को घेरा है। 'फिर से आएंगे योगी ही' जबरदस्त तरीके से सोशल मीडिया में छाया हुआ है। 22 में योगीजी 27 में भी योगीजी नामक गीत ने खूब तहलका मचाया।

इन गीतों को जनविश्वास यात्रा और अन्य कई जनसभाओं में भाजपा ने जबरदस्त तरीके से पेश किया है। इसके अलावा शादी विवाह के दौरान भी यह गीत खूब चर्चित रहा है। इसके अलावा भाजपा के लिए कन्हैया मित्तल का गाना 'जो राम को लाएं हैं हम उनको लाएंगे' तो भाजपा हर फोरम में पेश कर रही है। यहां तक ज्यादातर कार्यकतार्ओं ने इसे फोन की रिंग टोन भी बना लिया है। इसके गीत के माध्यम से भाजपा के एजेंडे में शामिल अयोध्या, काषी में कार्यों का बखान है तो वहीं मथुरा की उम्मींद लगाई गयी है।



उधर, समाजवादी पार्टी भी गानों के जारिए अपने पक्ष में माहौल बना रहे हैं। बंगाल की तर्ज पर 'खदेड़ा होइबे' नामक गीतों के जारिए भाजपा की कमियों को बताने का प्रयास किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी के 'खदेड़ा होइबे' गाने में विजुअल्स का भी ठीक इस्तेमाल किया गया है। इसमें बड़ी-बड़ी जनसभाओं के सीन दर्शाए गए ताकि उन्हें मिलने वाले जनसमर्थन को दिखाया जा सके। गानें में कहा गया है कि जोर जबरदस्ती और तानाशाही नहीं चलेगी। इसके साथ ही महंगाई की मार का भी जिक्र किया गया है।

इसके अलावा 'जनता पुकारती अखिलेश आइए' जैसे गीतों के बोल में सपा ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को दर्शाया है। मेट्रो, आगरा एक्सप्रेस वे, गोमती रिवर फ्रन्ट शामे अवध का जिक्र किया गया है। इस गीत को अपनी जनसभाओं और समाजवादी यात्रा के दौरान प्रस्तुत किया गया है। आ जाओ अखिलेश तुम्हे उत्तर प्रदेश बुलाती है'। 'अखिलेश आ रहे हैं' में कन्या विद्या धन, लैपटाप जैसी योजनाओं का बखान किया गया है। इसमें इनकी तुलना मुरलीधर से की है। इसके अलावा भी अन्य कई भोजपुरी गीत हैं जो कार्यकतार्ओं के गाड़ियों पर अक्सर हुई सभाओं में सुनने को मिल रहे हैं।

कांग्रेस भी सुरो जंग के मैदान में उतरी हुई हैं। 'लड़की हूं लड़ सकती हूं।' गीत खूब छाया हुआ है। इसमें महिलाओं को आगे बढ़ते हुए दिखाया जा रहा है। बहन प्रियंका करें अह्वाहन मिलकर आगे बढ़ सकती हूं। इसके जरिए उन्होंने अपने आन्दोलनों का बखान किया है। इसके अलावा भी अन्य कई गीत सोशल मीडिया पर चल रहे हैं।



बसपा भी सुरो के संग्राम में कूद पड़ी है। भीम म्यूजिक की ओर से बनाया गया 'अबकी बार बहन जी, आ रही फिर से बहन जी' गीतों पर बसपाई खूब झूम रहे हैं।



वरिष्ठ राजनीतिक विष्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि चुनाव सियासी दलों का महोत्सव होता है। जनता को लुभाने के लिए राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशी तरह-तरह के गीत और नारे लाकर जनता को लुभाने की कोशिश करते हैं। यह प्रक्रिया लोकतंत्रात्मक व्यवस्था में शुरू से जारी है। पहले भी राजनीतिक दल इस तरह के गीत और नारे मंचों और लाउडस्पीकर के माध्यम से किया करते थे। चूंकि कोरोना काल में इस प्रकार के कार्यक्रम पर पबांदी लगी है, इस कारण विभिन्न राजनीतिक दल सोशल मीडिया के माध्यम से गीत और संगीत का सहारा ले रहे है।

Published on:
12 Jan 2022 05:24 pm
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