
अमित शाह
वाराणसी. मिशन लोकसभा 2019 की शुरुआत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पूर्वांचल से कर दी। शाह बुधवार को मिर्जापुर और वाराणसी में थे। उन्होंने इस दौरान सांसद, विधायक से लेकर अवध, काशी और गोरखपुर प्रांत के ब्लॉक लेवल तक के पदाधिकारियों संग बैठक की। इस दौरान उन्होंने सपा-बसपा के गठबंधन के चलते फूलपुर और गोरखपुर उपचुनाव में हुई हार का मंथन किया। उन्होंने आगामी चुनाव में भी इस महागठबंधन से संभावित नुकसान और उसे रोकने की रणनीति पर बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं से भी फीडबैक लिया कि सपा-बसपा के गठबंधन की जमीनी हकीकत क्या है, ताकि ऐसी रणनीतिक रूप से उससे निपटा जा सके।
मिर्जापुर के बाद बनारस पहुंचे अमित शाह ने यहां सोशल मीडिया वालंटियर्स मीट में हिस्सा लिया। स्थानीय मीडिया के मुताबिक इस दौरान उन्होंने सपा-बसपा गठबंधन से सावधान रहने की सलाह दी। कहा कि गठबंधन यूपी में खतरे की घंटी हो सकता है। इसके लिये उन्होंने किसी भी स्तर पर कोताही बरतने के बजाय सतर्क रहने की सलाह दी।
शाह कार्यकर्ताओं से अलग ही अंदाज में मुखातिब थे। इसी दौरान उन्होंने अचानक कार्यकर्ताओं से ही पूछ लिया कि बुआ-भतीजे का गठबंधन यूपी में असर दिखाएगा ? इस पर कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में कहा कि नहीं। पर शाह ने उन्हें टोका, कहा कि गलतफहमी में रने की जरूरत नहीं। सजग रहना जरूरी है। उन्होंने कर्नाटक का उदाहराण देते हुए समझाया कि वहां कम सीटों वाले जिन दलों ने सरकार बना ली है। उनका राज्य से बाहर कोई प्रभाव नहीं।
दरअसल अमित शाह कार्यकर्ताओं का उत्साह नहीं अति उत्साह चेक करना चाहते थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को इससे न सिर्फ बचने की सलाह दी बल्कि सतर्क रहने को भी कहा। बता दें कि उपचुनाव में जीत के बाद यूपी में सपा-बसपा उत्साहित हैं और 2019 में साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। इस संभावित खतरे को बीजेपी भांप गई है और उसी के आधार पर अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।
Published on:
05 Jul 2018 02:29 pm
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