
Shivpal Yadav
वाराणसी. सपा से अलग होकर शिवपाल यादव अपनी ताकत को मजबूत करने में जुट गये हैं। शिवपाल जानते हैं कि राजनीतिक जमीन बनाना आसान नहीं है इसलिए छोटे दलों को जोड़ कर वोट बैंक बनाना चाहते हैं। शिवपाल यादव के लिए यादव व मुस्लिम वोटर बेहद खास हो गये हैं जिन्हें अपने पाले में करने के लिए सारी ताकत लगा दी है। यूपी में एक पार्टी ऐसी भी है जो महागठबंधन के साथ जाती है तो समावादी सेक्युलर मोर्चा का खेल बिगड़ सकता है और अखिलेश यादव व मायावती को बड़ी राहत मिलेगी।
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लोकसभा चुनाव 2019 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम अपनी ताकत दिखा सकती है। 22 अक्टूबर से एक माह तक आईएमआईएम ने यूपी के मुस्लिम बाहुल्य सीट पर 100 रैली करने की योजना बनायी है जिसकी शुरूआत इलाहाबाद से होगी। रैली के जरिए मुस्लिम वोटरों को एआईएमआईएम से जोड़ा जायेगा। एआईएमआईएम के इस ऐलान से यूपी की सियासी पारा चढ़ गया है। एआईएमआईएम जानती है कि यूपी में खुद को स्थापित करना है तो मुस्लिम वोटरों में पैठ बनानी होगी। अभी तक मुस्लिम वोटरों मायावती या अखिलेश के साथ जाना पसंद करते थे। मुस्लिम वोटरों का वोट उसी पार्टी को मिलता है जो बीजेपी का हारने में सक्षम होती है। एआईएमआईएम के आने से मुस्लिम वोटरों को एक और विकल्प मिल गया है।
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जानिए कैसे बिगड़ सकता है शिवपाल यादव का खेल
शिवपाल यादव ने अपने मोर्चा के लिए मुस्लिम व यादव वोटरों को जोडऩा शुरू कर दिया है। राहुल गांधी, अखिलेश यादव व मायावती के संभावित गठबंधन की भी निगाहे मुस्लिम वोट बैंक पर टिकी हुई है। बीजेपी जानती है कि यदि तीन तलाक पर उसे मुस्लिम महिलाओं का साथ मिला तो ठीक है नहीं तो अन्य मुस्लिम वोटर किसी भी हाल में बीजेपी के साथ जाने वाले नहीं है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के सक्रिय होने से शिवपाल यादव की परेशानी बढ़ गयी है। शिवपाल यादव जानते थे कि जो मुस्लिम वोटर महागठबंधन की तरफ नहीं जायेगा। वह समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के साथ आ सकता है लेकिन अब ऐसा होना कठिन हो जायेगा। इसकी वजह एआईएमआईएम का सक्रिय होना है। शिवपाल यादव के वोट जितना कम होगे। उतना ही अखिलेश व मायावती को लाभ होगा।
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एआईएमआईएम भी चाहती है महागठबंधन का साथ
एआईएमआईएम भी महागठबंधन का साथ चाहती है। प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली महुली ने साफ कर दिया है कि यदि महागठबंधन से उन्हें आमंत्रण मिलता है तो पार्टी इस पर गंभीरता से विचार करेगी। इशारा साफ है कि एआईएमआईम की महागठबंधन में शामिल होने में दिलचस्पी भी है यदि एआईएमआईएम भी महागठबंधन में चली जाती है तो शिवपाल यादव के लिए वोट जुटाना कठिन हो जायेगा। शिवपाल यादव के साथ बीजेपी को भी परेशानी बढऩी तय है।
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Published on:
17 Oct 2018 12:29 pm
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