scriptकथक सम्राट बिरजू महाराज की अस्थियां मोक्षदायिनी काशी में गंगा में विसर्जित | ashes of Kathak emperor Birju Maharaj flowed into Ganges in Kashi | Patrika News
वाराणसी

कथक सम्राट बिरजू महाराज की अस्थियां मोक्षदायिनी काशी में गंगा में विसर्जित

कथक सम्राट बिरजू महाराज की अस्थियां शनिवार को धार्मिक कर्मकांड के अनुसार मोक्षदायिनी काशी में गंगा में विसर्जित कर दी गईं। कथक सम्राट के ज्येष्ठ पुत्र जय किशन महाराज ने अस्सी घाट पर गंगा में अस्थियां विसर्जित कीं। इसम मौके पर परिवार के अन्य लोगों के साथ काशी के कला-संस्कृति प्रेमी भी बड़ी तादाद में मौजूद रहे।

वाराणसीJan 22, 2022 / 02:58 pm

Ajay Chaturvedi

कथक सम्राट बिरजू महाराज की अस्थियां मोक्षदायिनी काशी में गंगा में विसर्जित

कथक सम्राट बिरजू महाराज की अस्थियां मोक्षदायिनी काशी में गंगा में विसर्जित

वाराणसी. कथक सम्राट बिरजू महाराज की अस्थियां शनिवार को मोक्षदायिनी काशी में मां गंगा के अविरल धारा में समाहित हो गईं। कथक सम्राट के ज्येष्ठ पुत्र जय किशन महाराज ने अस्सी घाट पर गंगा की मध्य धारा के बीच पिता की अस्थियों को विसर्जित किया। इस मौके पर उनके परिजनों के अलावा काशी के कला-संस्कृति प्रेमी और बिरजू महाराज के प्रशंसक बड़ी तादाद में मौजूद रहे।
16 जनवरी की रात हुआ था निधन

बता दें कि गत 16 जनवरी की देर रात 83 वर्षीय पंडित बिरजू महाराज का निधन हो गया था. पंडित बिरजू महाराज की शिष्या डॉ. संगीता सिन्हा के अनुसार महराज जी का अस्थि कलश शुक्रवार को लखनऊ स्थित उनके पैतृक आवास अर्थात बिंदादीन महाराज की ड्योढ़ी में रखा गया था। वहां लखनऊ के कलाकारों और महाराज जी के प्रशंसकों ने अस्थि कलश के दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उसके बाद अस्थि कलश संग परिवार के लोग काशी के लिए रवाना हुए और देर रात यहां पहुंचे। काशी पहुंचने के बाद पहले कबीरचौरा फिर कस्तूरबा नगर कॉलोनी में महाराज जी को श्रद्धांजलि दी गई। उसके बाद सिगरा से अस्सी घाट के लिए निकली उनकी अस्थि कलश यात्रा। अस्थि कलश के साथ पंडित बिरजू महाराज के बड़े पुत्र पंडित जय किशन महाराज और शिष्या शाश्वती सेन के अलावा परिवार के अन्य लोग भी काशी आए थे।
काशी के कलाकारों व संगीत प्रेमियों ने दी श्रद्धांजलि
विसर्जन से पहले पंडित बिरजू महाराज का अस्थि कलश कबीरचौरा और कस्तूरबा नगर कॉलोनी स्थित नटराज संगीत अकादमी परिसर में रखा गया। इन दोनों ही स्थानों पर काशी के कलाकारों और संगीत प्रेमियों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उसके बाद अस्थि कलश अस्सी घाट पर ले जाया गया। घाट पर अस्थि कलश का वैदिक रीति से पूजन भी हुआ। इस मौके पर अस्थि विसर्जन के मौके पर जय किशन महाराज के अलावा छोटे बेटे त्रिभुवन और शिष्या शाश्वती सेन तथा बनारस घराने के कई कलाकार भी मौजूद रहे।
पिछले जन्म का पुण्य है जो ऐसे पिता मिले
अस्थि विसर्जन के बाद कथक सम्राट के पुत्र जयकिशन महाराज ने मीडिया से कहा कि पिता जी अगली एक शताब्दि के लिए कथक की टेक्नीक दे गए हैं। उन्होंने कहा कि शायद पूर्व जन्म में मैंने कोई बहुत बड़ा पुण्य किया था, जो कि ऐसे पिता मिले। उनमें नृत्य के साथ ही गायन, चित्रकला, संगीत और साहित्यिक लेखन के भी अद्भुत क्षमता थी।
कथक सम्राट को पुष्पांजलि अर्पित करते कांग्रेस नेता अजय राय
कांग्रेसजनों ने पुष्पांजलि अर्पित कर दी श्रद्धांजलि
पंडित बिरजू महाराज का निधन भारतीय नृत्य कला में अपूरणीय क्षति वह स्वयं में नटराज थे। वह जहां खड़े हो जाते, वहां स्वयं नटराज खड़े हो जाते थे। उन्होंने भारतीय नृत्य कला को एक नया आयाम दिया व विश्व भर में भारतीय कला नृत्य को स्थापित किए। बढ़ती उम्र में भी महाराज विविध भावों और हाथों की अनूठी मुद्राओं में प्रस्तुतियों करते थे। उनकी यह कला सदैव जीवंत रहेगी। उनका जाना भारतीय नृत्य कला क्षेत्र की अपूरणीय क्षति है। काशी घराने से उनका गहरा लगाव था। उनका जाना संपूर्ण संगीत प्रेमियों, हम बनारसियों के लिए बड़ी क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं।-अजय राय
इन्होंने भी दी श्रद्धांजलि
अस्थि कलश काशी आने पर महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे, महानगर कोषाध्यक्ष मनीष मोरोलिया, चंचल शर्मा, रोहित दुबे, विनय राय आदि ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

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