Gyanvapi Case : ज्ञानवापी मस्जिद परिसर सर्वे को लेकर जहां हाईकोर्ट में अहम् सुनवाई हुई। वहीं सिविल कोर्ट वाराणसी में सिविल जज सीनियर डिवीजन (FTC) की अदालत में ज्ञानवापी से जुड़े ज्योतिर्लिग लॉर्ड आदिविशेश्वर के मामले की भी सुनवाई नहीं हो सकी। इसमें मंदिर के भव्य निर्माण में सहयोग और 1993 में की गई बैरिकेडिंग को हटाने की याचिका पर सुनवाई होनी थी।
Gyanvapi Case : ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के बाहर की गई बैरिकेडिंग और केंद्र और राज्य सरकार द्वारा भव्य मंदिर निर्माण की याचिका पर बुधवार को सुनवाई नहीं हो सकी। ज्योतिर्लिंग लार्ड विश्वेश्वर विराजमान के नाम से यह वाद दायर किया गया है। इसमें ज्ञानवापी स्थित आराजी संख्या को भगवान का मालिकाना हक घोषित करने और केंद्र और राज्य सरकार से भव्य मंदिर निर्माण में सहयोग करने के साथ ही 1993 में मस्जिद परिसर में कराई गई बैरिकेडिंग को हटाने की मांग की है।
ये बनी वजह
सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत में बुधवार को ज्ञानवापी से जुड़े ज्योतिर्लिंग लार्ड आदि विश्वेश्वर के मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। कोर्ट में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से स्थगन प्रार्थना पत्र दिया गया। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि ज्ञानवापी से जुड़े मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता उसी मामले में गए हैं। ऐसे में अगली तारीख दी जाए। अदालत ने यह बात मानते हुए सुनवाई की अगली तारीख 8 अगस्त निर्धारित की दी है। इससे पहले सोमवार को भी पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर रहने के कारण सुनवाई टल गई थी।
इन्होने दायर किया है वाद, मुस्लिम पक्ष के प्रार्थना पत्र पर जताई आपत्ति
वाराणसी की अधिवक्ता अनुष्का तिवारी और इंदु तिवारी ने ज्योतिर्लिंग लार्ड विशेश्वर विराजमान की तरफ से अधिवक्ता शिवपूजन ने गौतम सिंह, शरद श्रीवास्तव और हिमांशु तिवारी के जरिए यह वाद दाखिल किया। पिछली तारीख पर वादिनी पक्ष की तरफ से अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी के उस आवेदन पर आपत्ति जताई गई है, जिसमें वाद के समर्थन में दिए गए साक्ष्यों की प्रति मांगी गई थी. वादिनी पक्ष ने आपत्ति आवेदन में कहा है कि जो साक्ष्य दिए गए हैं, वह सार्वजनिक व ऐतिहासिक हैं. इसे कमेटी खुद प्राप्त कर सकती है।