
पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर, PC- Patrika
वाराणसी : उत्तर प्रदेश के विवादास्पद पूर्व IPS अधिकारी और 'यूपी का खेमका' कहे जाने वाले अमिताभ ठाकुर को कोडीन युक्त कफ सिरप तस्करी मामले में झूठे आरोप लगाने की FIR के सिलसिले में बी-वारंट पर देवरिया जेल से वाराणसी लाया गया। भारी सुरक्षा घेरे में शुक्रवार को स्पेशल सीजेएम कोर्ट में पेशी हुई, जहां वे कटघरे में गुमसुम खड़े रहे। हिंदू संगठनों के संभावित आक्रोश को देखते हुए कोर्ट परिसर में 500 से ज्यादा पुलिसकर्मी बुलेटप्रूफ जैकेट पहने तैनात किए गए।
गुरुवार शाम करीब 6:30 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच अमिताभ ठाकुर को वाराणसी सेंट्रल जेल लाया गया। जेल सूत्रों के अनुसार, उन्हें तन्हाई बैरक में रखा गया, जहां अन्य कैदियों से कोई संपर्क नहीं होता। बैरक के बाहर अलग से बंदी रक्षक तैनात हैं। रात भर वे बेचैन रहे, करवटें बदलते रहे और ठीक से सो नहीं पाए। उन्हें ओढ़ने के लिए सिर्फ दो कंबल दिए गए। जेल अधिकारियों का कहना है कि नियमों के मुताबिक कोई विशेष सुविधा नहीं दी गई।
चौक थाने में हिंदू युवा वाहिनी नेता एवं वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) बोर्ड सदस्य अंबरीश सिंह 'भोला' की शिकायत पर 8 दिसंबर को FIR दर्ज हुई। आरोप है कि 30 नवंबर को अमिताभ ठाकुर ने अपने एक्स हैंडल (@amitabhthakur) से एक पत्र और वीडियो पोस्ट किया, जिसमें भोला पर कोडीन सिरप तस्करी में संलिप्त होने के झूठे आरोप लगाए गए। इससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।
अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी समेत अधिकारियों को पत्र भेजकर भोला की जांच मांग की थी। उन्होंने दो वीडियो साझा किए, एक में भोला के घर से कफ सिरप सामान हटाए जाने का दावा, दूसरे में उन्हें 'शेर-ए-पूर्वांचल' बताते काफिले का। ठाकुर का कहना था कि तस्करी के सरगना शुभम जायसवाल ने भोला को भारी रकम दी।
शुक्रवार को ठाकुर को कोर्ट में पेश किया गया। उनके वकील अनुज यादव ने बहस की कि FIR की धाराओं में रिमांड नहीं बनती- कुछ असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में हैं, बाकी में अधिकतम 7 साल की सजा। वकील ने रिमांड का विरोध किया। डीजीसी और एडीजीसी भी मौजूद रहे। पेशी के बाद ठाकुर को दोबारा देवरिया जेल भेजा जाएगा। एसीपी दशाश्वमेध डॉ. अतुल अंजन त्रिपाठी ने कहा- 'नियमानुसार बयान दर्ज कराया जाएगा। सुरक्षा के पूरे इंतजाम हैं।'
अमिताभ ठाकुर को उनकी बेबाकी की वजह से 'यूपी का अशोक खेमका' कहा जाता है। हरियाणा के IAS अशोक खेमका की तरह 57 ट्रांसफर हुए, वैसे ही ठाकुर के 29 साल की सेवा में 31 बार तबादला हुआ। वे 21 साल तक एसपी/एसएसपी रहे। 2006 में डीआईजी प्रमोशन मिलना था, लेकिन विवादों से 7 साल अटका। अंत में आईजी बने और इसी पद से रिटायर हुए।
भ्रष्टाचार और राजनीतिक दखल पर खुलकर बोलने की वजह से कई सरकारों से टकराव रहा। ट्रांसफर को 'सजा' माना जाता था। रिटायरमेंट के बाद भी सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय हैं, आजाद अधिकार सेना के अध्यक्ष हैं। हालिया गिरफ्तारी देवरिया के 1999 प्लॉट फर्जीवाड़ा मामले में हुई थी, जहां उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत मिली। अब कोडीन मामले में यह नया मोड़। ठाकुर के समर्थक इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहे हैं। जांच जारी है, लेकिन यह मामला यूपी की सियासत में नया विवाद पैदा कर सकता है।
Published on:
19 Dec 2025 07:31 pm
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