कांग्रेस सेवा दल में खलबली मची हुई है। बता दें कि अभी दो दिन पहले ही सेवादल के प्रदेश प्रभारी वाराणसी आए थे। उन्होंने सेवादल के पदाधिकारियों व संगठन के स्वयंसेवकों संग बैठक की। उन्हें 2019 लोकसभा चुनाव फतह करने के टिप्स दिए। उसी दौरान सेवादल के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से एक फैसला आया जिसके तहत बनारस जिला इकाई भंग कर दी गई। नेतृत्व के इस निर्णय का असर तो पड़ना ही था, लिहाजा दो दिन बाद सेवादल के जुझारू और कर्मठ नेता जिलाध्यक्ष हरीश मिश्र ने समर्थकों संग पार्टी से इस्तीफी दे दिया।
इस्तीफे के बाद हरीश मिश्रा ने बताया कि जिस उम्मीद से हम सभी ने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा था, उस संघर्ष में कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से फेल रही। उन्होने आरोप लगाया कि पार्टी को जमीनी तौर पर अब जनता पसंद नहीं कर पा रही है। सेवादलके पूर्व जिलाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस का नौजवानो, मजदूरों, किसानो एवं बुनकरों को लेकर स्पष्ट एजेंडा ना होना, हम जैसे युवा नेताओं की प्रतिभा पर कलंक का काम कर रही थी।
उन्होने कहा कि हम सभी जिला कांग्रेस सेवादल के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस पार्टी की आजवीन सदस्यता से त्याग पत्र देते हुए यह संकल्प लिया है कि अब हम सभी लोग जीवन पर्यंत कांग्रेस के लिए ना तो प्रचार करेंगे और ना ही कभी वोट करेंगे।
हरीश मिश्रा ने ये स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस छोड़ने के बाद वे भाजपा में शामिल नही होंगे। हालांकि सूत्रों की मानें तो हरीश मिश्रा सपा से अलग होकर सेक्युलर मोर्चा बनाने वाले शिवपाल यादव के साथ जा सकते हैं। फिलहाल हरीश मिश्रा ने इसे लेकर अपने पत्ते नही खोले हैं।
हरीश मिश्रा के साथ मुख्य रूप से रंजीत सेठ, मोहम्मद अब्बास, विकास पटेल, शाकिर अली नवाब, रविंद्र वर्मा, देवी प्रसाद यादव, कमल तिवारी, वैभव सिंह, पवन कुमार, राजन सेठ, अजय पटेल, विनय राय, शुभम कश्यप, राजन पटेल, बाबू अली, राजेश कुमार, सुनील मिश्रा, रतनराज, राजू सैनी, रोशन कुमार, चांद हैदर आदि ने भी कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।