अस्पताल के आधिकारिक रिकार्ड के मुताबिक 2009 में जहां साल में नौ लाख, 43 हजार 231 मरीज ओपीडी में आए वहीं 2015 में इनकी संख्या बढ़ कर 13 लाख 32 हजार 996 हो गई। 2009 में जहां साल में 45, 161 मरीज भर्ती किए गए वहीं 2015 में महज 53, 046। यानी बढ़ती भीड़ और बेड की कमी से मरीजों को लौटाना पड़ रहा है। 2009 में जहां 8755 मेजर व 15,591 माइनर सहित कुल 24, 346 आपरेशन किए गए वहीं 2015 में 11,339 मेजर व 17, 759 माइनर सहित कुल 29, 098 आपरेशन ही हो पाए। सबसे चौंकाने वाला तथ्य है मृत्यु दर, जो 2009 में 2,546 था वह 2015 में बढ़ कर 3,107 तक पहुंच गया। 2013 और 2014 में तो मृत्यु दर इससे भी अधिक रहा। 2013 में जहां साल में 3,393 मरीजों की मौत हुई वहीं 2014 में 3,287 मरीजों की जान नहीं बचा सका यह अस्पताल। ये आंकड़े किसी भी अच्छे अस्पताल के लिए घातक हैं।