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IIT BHU की बड़ी उपलब्धि, दिया इंटरनेट, वाईफाई का विकल्प, जानें क्या है ये विकल्प, कितनी होगी लागत और क्या-क्या काम करेगा…

दौड़ती-भागती जिंदगी में आज इंटरनेट व वाईफाई हर किसी के जीवन का प्रमुख हिस्सा बन गया है। इंटरनेट-वाईफाई न हो तो सब कुछ अधूरा-अधूरा सा लगता है। बहुतेरे काम रुक जाते हैं। ऐसे में IIT BHU ने इसका विकल्प तलाशा है। या यूं कहें कि खुद ऐसी डिवाइस तैयार की जिसके माध्यम से वो अपने कैंपस में आसानी से काम कर रहे हैं। इस नई डिवाइस के बारे में पत्रिका ने बात की प्रो हरि प्रभात गुप्ता है, तो जानते हैं वो क्या बताते हैं...

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आईआईटी बीएचयू की खोज इंटरनेट व वाईफाई का विकल्प लोरावन का उपयोग

आईआईटी बीएचयू की खोज इंटरनेट व वाईफाई का विकल्प लोरावन का उपयोग

वाराणसी. आधुनिक तकनीक के दौर में प्रायः हर इंसान कृषि, परिवहन, स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा उपकरण का डेटा साझा करने के लिए इंटरनेट का उपयोग करता हैं। लेकिन बहुधा ऐसा देखने को मिलता है कि हर जगह इंटरनेट काम नहीं करता। साथ ही इसके उपयोग के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की खपत होती है। साथ ही एक उपयोगकर्ता को इंटरनेट सेवा का उपयोग करने के लिए सिम कनेक्शन को रिचार्ज कराना होता है और उसकी खातिर एक निश्चित लागत का भुगतान करना होता है। ऐसे में IIT BHU ने इंटरनेट उपलब्धता सीमा या इंटरनेट की अनुपस्थिति को दूर करने के लिए नई खोज की है। इस नई तकनीक के बारे में पत्रिका ने बात की इस नई खोज करने वाले प्रो हरि प्रभात गुप्ता से, तो जानते हैं कि क्या कहते हैं प्रो गुप्ता...

नई तकनीक लोरावन का उपयोग से नहीं आएगा अतिरिक्त आर्थिक बोझ

प्रो गुप्ता बताते हैं कि आईआईटी (बीएचयू) अनुसंधान उद्देश्यों के लिए परिसर के अंदर लोरावन (LoRaWAN) की सुविधा स्थापित कर रहा है। इसमें एक उपयोगकर्ता लोरावन का उपयोग करके बहुत कम बिजली की खपत (बैटरी के माध्यम से) के साथ सुरक्षित डेटा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर साझा कर सकता है। इस प्रकार उपयोगकर्ताओं को पांच साल बाद भी बैटरी को बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ती। साथ ही, उपयोगकर्ताओं को कोई वित्तीय लागत का भुगतान करने की भी जरूरत नहीं है। यह सुविधा इस दिशा में शोध करने के विभिन्न अवसर प्रदान करता है।

मेला आदि में बच्चों की ट्रैकिंग और ट्रेसिंग होगी आसान

वो बताते हैं कि यह बच्चों की निगरानी करने, प्राकृतिक आपदाओं, कृषि क्षेत्र, वाहन ट्रैकिंग, बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और अन्य कई मामलों में त्वरित संचार में मदद करती है। इससे दैनिक उपयोग के स्मार्टफोन और लोरावन की मदद से माता-पिता भीड़ भरे माहौल जैसे- कुंभ मेला आदि में बच्चों की ट्रैकिंग और ट्रेसिंग आसानी से संभव हो जाएगी। इसके अलावा, उत्तराखंड के बाढ़, चक्रवात ताऊते जैसी प्राकृतिक आपदाओं के मामले में जहां संचार नेटवर्क के बुनियादी ढांचे पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे वहां पर लोरावन एक त्वरित और संभावित संचार समाधान है जो संदेशों को साझा करने के माध्यम से एक सोशल नेटवर्क बनाती है।

पर्यटकों के लिए भी लाभप्रद

लोरावन अन्य देशों के उन पर्यटकों तक भी अपनी पहुंच बढ़ा सकती है जिनके पास अपनी यात्रा के दौरान सक्रिय इंटरनेट कनेक्शन नहीं है। संस्थान, डिवाइस डिजाइनिंग, गेटवे प्लेसमेंट और डिवाइस डिप्लॉयमेंट और किसी भी सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाले स्मार्टफोन के साथ संगत मोबाइल सॉफ्टवेयर के विकास पर केंद्रित है।

तीन से चार गुना तक लागत में कम

इस शोध का मुख्य फोकस डिवाइस की लागत को एक किफायती लागत तक कम करना है जिसे भारतीय उपयोगकर्ता (किसान, दुकानदार और छात्र) आसानी से चला सकते हैं, जो कि वर्तमान में बाजार में उपलब्ध उपकरणों की तुलना में तीन से चार गुना कम लागत का है । परिसर के भीतर लोरावन पंजीकृत स्टार्टअप कंपनियों को परिसर के अंदर अपने आईओटी (IoT) उत्पादों को विकसित करने में भी मदद करता है।

इन्होंने किया है शोध

इस अनुसंधान कार्य का नेतृत्व प्रो. हरि प्रभात गुप्ता ने किया। उनके साथ शोध दल डॉ. तनिमा दत्ता, डॉ. प्रीति कुमारी, रमाकांत और श्री शुभम पांडेय शामिल रहे।

निदेशक ने दी शुभकामना, बताया इन कार्यों में भी है सहायक

प्रो गुप्ता के इस शोध कार्य के लिए संस्थान के निदेशक प्रो पीके जैन ने पूरी टीम को बधाई दी है। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से टीम को परामर्श और प्रेरित किया है। संस्थान ने इस काम के लिए वित्तीय और ढांचागत दोनों सहायता प्रदान की है। संस्थान मौजूदा बहु-मंजिला इमारतों को लोरावन सक्षम स्मार्ट बिल्डिंग में बदलने के लिए सहयोग कर रहा है जो बिजली, पानी और गैस मीटर की स्वचालित रीडिंग, उपलब्ध वाहन पार्किंग स्थानों की जांच, कूड़ेदान की सफाई व निपटारे में मदद और बगीचों में स्वचालित पानी का छिड़काव करने में मदद करेगा।