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हार की डर से चुनाव कराने से बच रही बीजेपी, चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल

locationवाराणसीPublished: Jan 25, 2018 07:34:13 pm

Submitted by:

Devesh Singh

फूलपुर व गोरखपुर संसदीय सीट पर होना है उपचुनाव, जानिए क्या है कहानी

CM Yogi Adityanath and Deputy CM Keshav Prasad Maurya

CM Yogi Adityanath and Deputy CM Keshav Prasad Maurya

वाराणसी. बीजेपी पर हार का इतना डर सता रहा है कि इन दो सीटों पर उपचुनाव तक नहीं कराये जा रहे हैं। संसदीय चुनाव 2019 से पहले इन सीटो ंपर आने वाले चुनाव परिणाम का बहुत भूमिका होगी। यूपी चुनाव में प्रचंड बहुमत पाने वाली भगवा पार्टी जानती है कि इन सीटों पर चुनाव हारने का मतलब विरोधी दलों को संजीवनी देना है। चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं आखिर क्यों नहीं इन सीटों पर होने वाले उपचुनाव की अधिसूचना जारी की जा रही है।
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सीएम योगी आदित्यनाथ व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने क्रमाश: गोरखपुर व फूलपुर संसदीय सीट से बतौर सांसद इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा दे दिये कुछ माह बीत गया है इसके बाद भी इन सीटों पर उपचुनाव नहीं कराये जा रहे हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ व डिप्टी केशव प्रसाद मौर्या की सीट प्रतिष्ठा से जुड़ी है। गोरखपुर संसदीय सीट पर बीजेपी को गोरखापीठ के चलते बढ़त मिल सकती है लेकिन पहली बार फूलपुर सीट जीतने वाली भाजपा के लिए फिर से इसी सीट पर भगवा फहराना बहुत कठिन है। विपक्ष भी देश के माहौल को परखने के लिए इन सीटों पर चुनाव का इंतजार कर रहा है, जिसकी तिथि अब तक घोषित नहीं हुई है।
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जानिए क्या है हार व जीत के मायने
संसदीय चुनाव 2014 के बाद हुए अधिकांश जगहों पर हुए चुनाव में बीजेपी को जीत मिली है, जबकि विपक्षी दलों को कुछ राज्यों में छोड़ कर अन्य जगह निराशा मिली है। गुजरात चुनाव के बाद समीकरण बदलने लगा है अब पूर्वांचल में यह माहौल बनने लगा है कि बीजेपी को हराना कठिन नहीं है। गोरखपुर व फूलपुर संसदीय सीट पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी हार जाती है तो विरोधी दलों को संसदीय चुनाव 2019 से पहले बड़ी ताकत मिल जायेगी। बीजेपी इन सीटों को फिर से बचाने में सफल हो जाती है तो संसदीय चुनाव से पहले भगवा पार्टी एक बार फिर अपनी बादशाहत बरकरार रखने की बात आसानी से कह सकेगी।
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