यह भी पढ़े:-फोन पर मिली धमकी से मचा हड़कंप, तलाशी के बाद रवाना की गयी ट्रेन
बृजेश सिंह की फरारी के दौरान गैंग को संभालने की जिम्मेदारी त्रिभुवन सिंह को ही मिली थी। सूत्रों की माने तो बृजेश सिंह सबसे अधिक भरोसा त्रिभुवन पर करते थे। पुलिस के लिए बृजेश सिंह व त्रिभुवन सिंह की जोड़ी इतना सिरदर्द वाली साबित हुई थी कि दोनों लोगों पर पंाच-पांच लाख का इनाम रखा गया था। पुलिस सरगर्मी से त्रिभुवन सिंह की तलाश कर रही थी वह जानती थी कि एक बार त्रिभुवन सिंह का पता मिल जायेगा तो बृजेश सिंह को खोजना सबसे आसान हो जाता।
यह भी पढ़े:-बसपा व सपा गठबंधन हुआ तो बीजेपी इन नेताओं को बना सकती है प्रत्याशी
बृजेश सिंह की दिल्ली पुलिस ने नाटकीय ढंग से गिरफ्तारी की थी जबकि त्रिभुवन सिंह अपनी बुलेटप्रूफ वाहन से लखनऊ स्थित एसटीएफ के कार्यालय में पहुंचे थे। रजिस्टर पर सही नाम से एंट्री करने के बाद एसटीएफ के एसएसपी अमिताभ यश से मिले और कहा कि मेरा नाम त्रिभुवन सिंह है और मैं सरेंडर करने आया हूं। उस समय कहा गया कि सरेंडर करना था तो कोर्ट में करते। त्रिभुवन सिंह ने कहा कि कोर्ट भी तो पुलिस के पास ही भेजती। इसके बाद से बृजेश सिंह व त्रिभुवन सिंह जेल में है और लगातार मुकदमों से साथ ही बरी होते जा रहे हैं। इसी क्रम में गाजीपुर में कुंडेसर चट्टी कांड में अंसारी बंधु के काफिल पर फायरिंग का आरोप बृजेश व त्रिभुवन सिंह पर लगा था जिसमे उन्हें अब बरी कर दिया गया है।
यह भी पढ़े:-यह है बनारस की पुलिस, महिला पर तान दी रिवाल्वर, नामजद रिपोर्ट के बाद भी नहीं हुई गिरफ्तारी