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वाराणसी

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका, सोनिया के बेहद करीबी ने छोड़ी पार्टी

पत्रिका से बातचीत में कहा बहुत दिनों से घुटन महसूस कर रहा था।

वाराणसीSep 26, 2018 / 07:22 pm

Ajay Chaturvedi

कांग्रेस फ्लैग

कांग्रेस फ्लैग

वाराणसी. लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी काग्रेस को जोर का झटका लगा है। एक तरफ जहां छोटी-छोटी क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन कर किसी भी सूरत में पार्टी केंद्र की सत्ता पर काबिज होने में लगी है। वहीं कांग्रेस नेतृत्व के इसी रवैये से क्षुब्ध कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी नेहरू परिवार के करीबी ने पार्टी से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने पत्रिका से बातचीत में कहा कि बहुत दिनों से घुटन महसूस कर रहा था। पार्टी की नीतियां अब रास नहीं आ रही थीं। ऐसे में अब पार्टी में रहने का कोई औचित्य नहीं रहा। कांग्रेस छोड़ कहां जाने की तैयारी के सवाल पर कहा कि फिलहाल इस पर विचार नहीं किया है। जल्द ही इस बारे में घोषणा कर दी जाएगी।
कांग्रेस सेवाल दल के प्रदेश प्रमुख और जिला कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके इस वरिष्ठ कांग्रेस नेता मणिशंकर पांडेय ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि येन केन प्रकारेण दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की कांग्रेस नेतृत्व की नीति से मैं काफी खफा था। पिछले कई चुनावों से देख रहा था कि पार्टी उद्देश्यविहीन हो गई है। उसकी कोई नीति नहीं रही। सत्ता की भूख ने नेतृत्व को अंधा बना दिया है। यही नहीं सोचा था कि राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद तस्वीर बदलेगी लेकिन वही पुराने घिसे-पिटे नेताओं को आगे कर के सत्ता हासिल करने की जो रणनीति बनाई जा रही है उससे पार्टी का कतई लाभ नहीं होने वाला।
मणिशंकर पांडेय का इस्तीफा
उन्होंने बताया कि आज ही मैने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर को अपना इस्तीफा मेल कर दिया है। कांग्रेस नेतृत्व को भेजे अपने पत्र में मणिशंकर पांडेय ने कहा है कि 45 वर्ष के राजनीतिक कार्यकाल में मैने कांग्रेस द्वारा दी गई तमाम जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया। कांग्रेस में रहते हुए एनएसयूआई, युवक कांग्रेस, सेवादल तथा कांग्रेस के विभिन्न पदों पर काम किया। उत्तर प्रदेश विधान परिषद का सदस्य भी रहा। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने मेरे कार्यों को देखते हुए सेवादल का उत्तर प्रदेश अध्यक्ष बनाया। उन्होंने ही विधान परिषद में भेजा।

उन्होंने लिखा है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में सामाजिक, आध्यात्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक चेतना का पथ प्रदर्शक रहा। स्वतंत्रता संग्राम का अगुवा रहा है। अनेक प्रधानमंत्री दिए लेकिन सत्ता की लोलुपता ने केंद्र की राजनीति में अपने को बनाए रखने की मानसिकता के चलते देश के सबसे बड़े जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में जातीयी एवं क्षेत्रीय पार्टी के हाथों में सौंपने पर कांग्रेस ने अपने को गौरवांवित महसूस किया। दुःख केसाथ कहना पड़ रहा है कि आज की वर्तमान कांग्रेस स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू, स्वर्गीय इंदिरा गांधी व स्वर्गीय राजीव गांधी की विचारधारा की कांग्रेस नही रही। गठबंधन की राजनीति ने कांग्रेस के स्वाभिमान व चरित्र को जीर्ण शीर्ण कर दिया है। आने वाले लोकसभा चुनाव में हो रहे गठबंधन से न सिर्फ कांग्रेस की आत्मा को चोट लगेगी बल्कि प्रदेश और देश के लिए भी यह गठबंधन हानि देगा।

उऩ्होंने आगे लिखा है कि पार्टी में अनुभवी, ईमानदार एवं समर्पित कार्यकर्ताओं के लिए अब कोई स्थान नहीं बचा है। पार्टी में अधिकांश महत्वपूर्ण व प्रभावी पदों पर गैर कांग्रेसी लोगों ने अपना सिक्का जमा लिया है। उसी का परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के मात्र सात विधायक हैं तथा कांग्रेस उत्तर प्रदेश में चुनाव हारने के बाद भी हार के कारणों पर विचार करने का साहस नहं दिखा पाई। अब प्रदेश में अध्यक्षों की नियुक्ति सेलिब्रिटी एवं दूसरे दलों से आए लोगों से होने लगी है। परिणामस्वरूप आज उत्तर प्रदेश की दो सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए भी सहयोगी दलों के साथ गठबंधन करना पड़ रहा है। अतः मैं बहुत दुःखी मन से उत्तर प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष तथा कांग्रेस की आजीव सदस्यता से त्याग पत्र देता हूं।
मणिशंकर पांडेय

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