scriptटीम इंडिया में जगह बनाने वाले सूर्यकुमार यादव ने बचपन में काशी की गलियों में खेला था क्रिकेट, चाचा थे पहले गुरु | Cricketer Suryakumar Yadav Inside Story From Varanasi | Patrika News

टीम इंडिया में जगह बनाने वाले सूर्यकुमार यादव ने बचपन में काशी की गलियों में खेला था क्रिकेट, चाचा थे पहले गुरु

locationवाराणसीPublished: Feb 22, 2021 08:16:55 am

चाचा विनोद यादव थे क्रिकेटर सूर्यकुमार यादव के पहले कोच
मूल रूप से यूपी के गाजीपुर के सैदपुर अंतर्गत हथौड़ा गांव का रहने वाला है उनका परिवार
आईपीएल में मुंबई इंडियंस के बेहतरीन खिलाड़ी बनकर उभरे
2020 में आईपीएल में 15 मैच खेलकर बनाए थे 480 रन

Cricketer Suryakumar Yadav

क्रिकेटर सूर्यकुमार यादव

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

वाराणसी. बचपन में काशी की गलियों में क्रिकेट खेलने वाले क्रिकेटर सूर्य कुमार यादव उर्फ सूर्या अब इंडियन टीम के लिये खेलेंगे। उनका चयन इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली टी-20 सिरीज के लिये चुनी गई 19 सदस्यी भारतीय टीम में हुआ है। सूर्या एक बेहतरीन बल्लेबाज माने जाते हैं। 2020 में उन्होंने आईपीएल में 15 मैचों में 480 रन बनाए। आईपएल और घरेलु क्रिकेट में उनके बेहतर प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने इंडियन टीम में जगह बना ही ली। महज 30 साल की उम्र में उन्होंने इंडियन टीम में शामिल होकर इतिहास रच दिया। उनके चयन से बनारस और गाजीपुर स्थित उनके पैतृक गांव में खुशी की लहर है। बनारस में उनके पहले कोच, उनके चाचा विनोद यादव और उनके परिवार के लोग सूर्या की सफलता से गदगद हैं। सूर्य कुमार के चचेरे भाई अश्विनी कुमार यादव कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि इंग्लैंड के खिलाफ उनका प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ होगा। कहा कि उनके साथ बचपन के दिन काफी आनंददायक रहे। खाना खेलना सब साथ होता था। मैं यही चाहूंगा कि उनकी कंस्टीटवेंसी बरकरार रहे ओर वह वल्ड कप के लिये चुनकर बनारस और देश का नाम रोशन करें। उधर वाराणसी में चाचा विनोद यादव के पड़ोसियों ने भी बताया कि बचपन में भी क्रिकेट के प्रति लगाव देखकर कभी-कभी मन में आता था कि क्या ये क्रिकेटर बनेगा और आज वो दिन आ गया।


मूल रूप से गाजीपुर जिले के रहने वाले हैं

क्रिकेटर सूर्य कुमार यादव का परिवार मूल रूप से गाजीपुर जिले की सैदपुर तहसील के हथौड़ा गांव के रहने वाले हैं। सूर्य कुमार के पिता अशोक यादव मुंबई में भाभा एटाॅमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) में इंजीनियर हैं। मुंबई में नौकरी होने के चलते अशोक यादव का परिवार भी वहीं चला गया। 10 साल की उम्र में ही सूर्य कुमार यादव मुंबई चले गए। उसके पहले कुछ दिन वह वाराणसी में नानक नगर स्थित अपने चाचा विनोद यादव के घर भी रहे। यहां चाचा ने उसे शुरुआती क्रिकेट का ज्ञान दिया और कुछ दिनों तक वह यहीं बनारस की गलियों में क्रिकेट खेले। इसके बाद वह मुंबई चले गए जहां उनकी शिक्षा दीक्षा और क्रिकेट की ट्रेनिंग हुई।


चाचा विनोद यादव रहे पहले कोच

सूर्यकुमार को क्रिकेट का शौक बचपन से रहा। जब वह बनारस में कुछ दिन रहे तो इस दौरान उनके चाचा ही उनके कोच रहे और उन्होंने ही उनका परिचय क्रिकेट से कराया। वह उन्हें अपने साथ स्टेडियम भी ले जाते थे। हालांकि उनकी क्रिकेट की बाकायदा ट्रेनिंग उनके कोच चंद्रकांत पंडित और एचएस कामथ की निगरानी में हुई। विनोद यादव ने बताया कि बचपन में भी सूर्यकुमार को फास्ट बाॅल खेलने का शौक था वह डरतेेे बिल्कुल नहीं थेेे। उन्होंने कहा कि उनके भतीजे ने गली से अकादमी, अकादमी और फिर आईपीएल से इंडियन टीम का सफर अपनी मेहनत और लगन के दम पर तय किया है।


पढ़ाई लिखाई

पिता की नौकरी के चलते सूर्यकुमार बचपनमें ही मुंबई चले गए। उनकी पढ़ाई लिखाई सब वहीं हुई। शुरुआती पढ़ाई मुंबई के ही परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय से हुई। इसके बाद उन्होंने पिल्लई कॉलेज ऑफ आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस, मुंबई से बीकॉम किया।


बचपन से था क्रिकेट का शौक

सूर्य कुमार यादव को बचपन से क्रिकेट का शौक था। बनारस में अपने चाचा के साथ खेलने वाले सूर्य जब मुंबई पहुंचे तो वहां उनके इस शौक को पंख लग गए। मेहनत और लगन की कोई कमी नहीं थी। जरूरत थी तो गुरू की। जब सूर्य को पहले चंद्रकांत पंडित और बाद में एचएस कामथ जैसे गुरू मिले तो उनका खेल और निखर गया। अपने गेम की बदौलत सूर्यकुमार का चयन आईपीएल के लिये हो गया। उनके चाचा विनोद यादव बताते हैं कि सूर्यकुमार हमेशा से सचिन सचिन को अपना रोल माॅडल मानते रहे हैं और उन्हीं की तरह बनना चाहते थे। उनके पिता उन्हें सचिन के गुरू रमाकांत आचरेकर की अकादमी में ले जाते रहे।


क्रिकेट का सफर

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