मूल रूप से गाजीपुर जिले के रहने वाले हैं
क्रिकेटर सूर्य कुमार यादव का परिवार मूल रूप से गाजीपुर जिले की सैदपुर तहसील के हथौड़ा गांव के रहने वाले हैं। सूर्य कुमार के पिता अशोक यादव मुंबई में भाभा एटाॅमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) में इंजीनियर हैं। मुंबई में नौकरी होने के चलते अशोक यादव का परिवार भी वहीं चला गया। 10 साल की उम्र में ही सूर्य कुमार यादव मुंबई चले गए। उसके पहले कुछ दिन वह वाराणसी में नानक नगर स्थित अपने चाचा विनोद यादव के घर भी रहे। यहां चाचा ने उसे शुरुआती क्रिकेट का ज्ञान दिया और कुछ दिनों तक वह यहीं बनारस की गलियों में क्रिकेट खेले। इसके बाद वह मुंबई चले गए जहां उनकी शिक्षा दीक्षा और क्रिकेट की ट्रेनिंग हुई।
चाचा विनोद यादव रहे पहले कोच
सूर्यकुमार को क्रिकेट का शौक बचपन से रहा। जब वह बनारस में कुछ दिन रहे तो इस दौरान उनके चाचा ही उनके कोच रहे और उन्होंने ही उनका परिचय क्रिकेट से कराया। वह उन्हें अपने साथ स्टेडियम भी ले जाते थे। हालांकि उनकी क्रिकेट की बाकायदा ट्रेनिंग उनके कोच चंद्रकांत पंडित और एचएस कामथ की निगरानी में हुई। विनोद यादव ने बताया कि बचपन में भी सूर्यकुमार को फास्ट बाॅल खेलने का शौक था वह डरतेेे बिल्कुल नहीं थेेे। उन्होंने कहा कि उनके भतीजे ने गली से अकादमी, अकादमी और फिर आईपीएल से इंडियन टीम का सफर अपनी मेहनत और लगन के दम पर तय किया है।
पढ़ाई लिखाई
पिता की नौकरी के चलते सूर्यकुमार बचपनमें ही मुंबई चले गए। उनकी पढ़ाई लिखाई सब वहीं हुई। शुरुआती पढ़ाई मुंबई के ही परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय से हुई। इसके बाद उन्होंने पिल्लई कॉलेज ऑफ आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस, मुंबई से बीकॉम किया।
बचपन से था क्रिकेट का शौक
सूर्य कुमार यादव को बचपन से क्रिकेट का शौक था। बनारस में अपने चाचा के साथ खेलने वाले सूर्य जब मुंबई पहुंचे तो वहां उनके इस शौक को पंख लग गए। मेहनत और लगन की कोई कमी नहीं थी। जरूरत थी तो गुरू की। जब सूर्य को पहले चंद्रकांत पंडित और बाद में एचएस कामथ जैसे गुरू मिले तो उनका खेल और निखर गया। अपने गेम की बदौलत सूर्यकुमार का चयन आईपीएल के लिये हो गया। उनके चाचा विनोद यादव बताते हैं कि सूर्यकुमार हमेशा से सचिन सचिन को अपना रोल माॅडल मानते रहे हैं और उन्हीं की तरह बनना चाहते थे। उनके पिता उन्हें सचिन के गुरू रमाकांत आचरेकर की अकादमी में ले जाते रहे।
क्रिकेट का सफर