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बेटे के रहते हुए भी बहू व बेटियों ने दिया वृद्धा की अर्थी का कंथा

तेरहवी पर शोकसभा कर होगा पौधरोपण, बड़ी बेटी ने ही दी मां को मुखग्रि

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Dead Body

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वाराणसी. समाज की बेडिय़ों को तोड़ते हुए बहू व बेटियों ने वृद्धा की अर्थी को कंधा दिया। गांव की महिलाएं भी उमड़ पड़ी और शवयात्रा में शामिल होकर बदलते समाज की झलक दिखायी। शवयात्रा जब शमशान घाट पर पहुंची तो बड़ी बेटी ने ही मुखग्रि दी।
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चिरईगांव के बरियासनपुर गांव निवासी हरिचरण पटेल की पत्नी रज्जी देवी का भोर में चार बजे निधन हो गया था। निधन के बाद अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू की गयी। लोगों ने सोचा की गांव के पुरुष ही शव को लेकर जायेंगे और बेटा भागीरथी ही अपनी मां का अंतिम संस्कार करेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। परिवार के लोगो ंने पहले ही सामाजिक बेडिय़ों को तोडऩे का संकल्प लिया था इसके बाद बहू व बेटियों ने मिल कर वृद्धा के शव को कंधा दिया। श्मशान घाट पर पहुंचने पर सबसे बड़ी बेटी प्रेमी देवी ने मुखग्रि दी थी। बेटे भागीरथी प्रसाद ने बताया कि वह फिजूलखर्ची को बढ़ावा देने के पक्ष में नहीं है और दसगात्र एंव तेरहवी का कार्यक्रम नहीं करेगे। तेरहवी पर सभी लोग एकत्रित होकर शोकसभा का आयोजन करेंगे। इसके बाद माता की याद में पौधरोपण किया जायेगा।
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गांव में पहले भी तोड़ी गयी है परम्पराओं की बेडिय़ां
गांव में यह पहली बार नहीं हुआ है। संतोरा देवी का निधन 22 जुलाई 2018 को हुआ था और उनकी बहू व बेटियों ने ही कंधा देकर अंतिम रिवाज को पूरा किया था। तेरहवी की जगह शोकसभा आयोजित कर पौधरोपण किया था। संतोरा देवी की यही अंतिम इच्छा थी जिसे परिवार के लोगों ने पूरा किया। इसके बाद रज्जो देवी के परिवार ने भी इसी परम्परा पर चलते हुए समाज को नया संदेश दिया कि अब अधिक दिन तक परम्पराओं की बेडिय़ों में किसी को जकड़ कर रखा नहीं जा सकता है।
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