वाराणसी

Ghosi By Election Result 2023: शिवपाल की मैनपुरी वाली रणनीति से ‘विधायक’ बने सुधाकर सिंह, मुख्तार फैक्टर भी रहा कारगर

Ghosi By Election Result 2023: घोसी उपचुनाव में सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने 42 हजार वोटों से भाजपा के दारा सिंह को हरा दिया। राजनीति के जानकार बताते हैं कि इसमें सबसे ज्यादा शिवपाल की मैनपुरी वाली रणनीति ने काम किया। आइये जानते हैं क्या है ये रणनीति?

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Sep 08, 2023

Ghosi By Election Result 2023: घोसी में उपचुनाव की घोषणा के दरम्यान ही विपक्ष के 28 दल एक साथ आए हैं। इसका नाम इंडिया रखा गया। इसमें जिसमें कांग्रेस, सपा भी शामिल है। इसके साथ ही 2022 विधानसभा चुनाव में झटका खाने के बाद अखिलेश यादव नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। उन्होंने इंडिया गठबंधन से पहले ही 'पीडीए' फॉर्मूले की बात करनी शुरू कर दी। जिसका फुल फॉर्म उन्होंने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक बताया। इसी बीच सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चाचा और पार्टी के महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी में एंट्री ली और अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को मैनपुरी से सांसद बनवा दिया। इसके अलावा माफिया मुख्तार अंसारी के फैक्टर ने भी सपा को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। आइये बारी-बारी इन सबकी भूमिका और रणनीति के बारे में बताते हैं....

अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल लंबे समय तक सपा से दूर रहे। जब मुलायम से अखिलेश को सपा की सत्ता गई तो बाद में शिवपाल ने अपनी अलग पार्टी बना ली। वे बीजेपी के करीब भी नजर आए और कई बार अटकलें लगीं कि वे भगवा पार्टी का दामन थाम सकते हैं। हालांकि, मुलायम के निधन के बाद शिवपाल फिर से अखिलेश के करीब हुए और मैनपुरी उप-चुनाव में डिंपल यादव को जीत दिलवाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई।

अखिलेश पर हमेशा से ही आरोप लगते रहे कि वे अपने पिता और चाचा की तरह जमीनी स्तर पर लड़ने वाले नेता नहीं हैं, जबकि मुलायम और शिवपाल ने हमेशा एसी के कमरे से नहीं, बल्कि जमीन पर उतरकर राजनीति की। शिवपाल की यह 'जादूगरी' घोसी में उस समय दिखाई दी, जब उन्होंने सपा कैंडिडेट सुधाकर के लिए वही मैनपुरी वाली पुरानी रणनीति अपनाई। वे लंबे समय तक घोसी में डटे रहे और जनता से सपा को जिताने की अपील करते रहे। वे खुद कई जगह घर-घर गए और कैसे पार्टी को जीत मिले, इसके लिए समय-समय पर रणनीति बनाते रहे। शिवपाल की यही जमीनी राजनीति भी घोसी उप-चुनाव में सपा कैंडिडेट की जीत की एक वजह बनी।

'इंडिया' का एकजुट होना बीजेपी को पड़ा भारी
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए इस बार विपक्ष के 28 दल एक साथ आए हैं, जिसमें कांग्रेस, सपा भी शामिल है। एक समय कांग्रेस से पूरी तरह से दूरी बनाकर रखने का दावा करने वाले अखिलेश यादव को घोसी उप-चुनाव में कांग्रेस का काफी साथ मिला। यूपी कांग्रेस के नए नवेले अध्यक्ष अजय राय ने उप-चुनाव में पार्टी का कोई भी कैंडिडेट नहीं उतारा और सपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया।

वहीं, जब बसपा ने भी अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया तो यह लड़ाई 'इंडिया' बनाम एनडीए की हो गई। इस लड़ाई में 'इंडिया' की एकजुटता बीजेपी पर भारी पड़ गई। अब आने वाले समय में भी देखना होगा कि क्या अखिलेश यादव लोकसभा में कांग्रेस के साथ गठबंधन करते हैं या फिर नहीं। इस समय सपा और आरएलडी का गठबंधन है और माना जा रहा है कि यूपी में कांग्रेस को भी साथ में लिया जा सकता है। घोसी में 'इंडिया' के एकजुट लड़ने से हुए फायदे से इसकी संभावनाएं अब ज्यादा बढ़ गई हैं।

मुख्तार अंसारी भी क्यों बना वजह ?
घोसी उप-चुनाव में मुख्तार अंसारी भी सपा की जीत की एक वजह माना जा रहा है। दरअसल, घोसी मऊ जिले में आता है और यहां से काफी समय से मुख्तार परिवार का दबदबा रहा है। बाहुबली मुख्तार खुद मऊ क्षेत्र से पांच बार
मुख्तार अंसारी भी क्यों बना वजह ?
घोसी उप-चुनाव में मुख्तार अंसारी भी सपा की जीत की एक वजह माना जा रहा है। दरअसल, घोसी मऊ जिले में आता है और यहां से काफी समय से मुख्तार परिवार का दबदबा रहा है। बाहुबली मुख्तार खुद मऊ क्षेत्र से पांच बार विधानसभा के सदस्य चुना जा चुका है। उसने साल 1996, 2002, 2015, 2012 और 2017 में लगातार पांच बार विधानसभा का चुनवा जीता। हालांकि, इसी साल अप्रैल महीने में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में दोषी ठहराए जाने के बाद दस साल की सजा सुना दी गई। बसपा के उप-चुनाव नहीं लड़ने की वजह से पूरा मुस्लिम वोट भी एकजुट होकर सपा की ओर गया, जिससे सुधाकर सिंह को जबरदस्त फायदा हुआ। यदि बसपा यहां उप-चुनाव लड़ती तो यकीनन मुस्लिम वोटों में बंटवारा होता और इसका नुकसान सपा को झेलना पड़ सकता था।

काम कर गया अखिलेश का 'पीडीए' फॉर्मूला, बसपा के न होने से भी फायदा
2022 विधानसभा चुनाव में झटका खाने के बाद अखिलेश यादव नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। उन्होंने इंडिया गठबंधन से पहले ही 'पीडीए' फॉर्मूले की बात करनी शुरू कर दी, जिसका फुल फॉर्म उन्होंने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक बताया। इसके लिए उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को आगे किया, जिन्होंने पिछड़े और दलित वोटबैंक को साधने की भरपूर कोशिश की। हालांकि, उनके बयानों से काफी विवाद भी हुआ, जिस पर बीजेपी ने जमकर घेरा। इसके बावजूद भी अखिलेश स्वामी प्रसाद मौर्य को आगे करके पीडीए शब्द का जिक्र करते रहे।

ऐसे में घोसी के नतीजों को देखकर लगता है कि इस रणनीति का अखिलेश को फायदा भी मिला। बसपा के मैदान में नहीं उतरने से पिछड़ों और दलितों के वोटों पर सपा के सुधाकर सिंह ने भी सेंधमारी की। वहीं, मुस्लिम वोट भी सपा की ओर चला गया। जीत के बाद अखिलेश ने पीडीए का जिक्र भी किया और कहा, ''इंडिया टीम है और पीडीए रणनीति: जीत का हमारा ये नया फॉर्मूला सफल साबित हुआ है।

Published on:
08 Sept 2023 11:13 pm
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