
काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर (फाइल फोटो)
वाराणसी. ज्ञानवापी प्रकरण में जज, पैरोकार, वाद मित्रों को जान से मारने की धमकी का देने का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में अब प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ की ओर से कोर्ट में मुकदमा दायर करने वाले शहर क्षेत्र के औरंगाबाद निवासी हरिहर पांडेय को परिवार सहित जान से मारने की धमकी दी गई है। बकौल हरिहर पांडेय उनके मोबाइल पर पाकिस्तान के नंबर 923211160599 से कॉल आई थी। साथ ही इसी नंबर से संचालित ह्वाट्सएप पर उन्हें कटे हुए सिर का फोटो भी भेजा गया था। धमकी के मामले में हरिहर पांडेय की तहरीर के बिना पर लक्सा थाने में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
बुधवार को आई थी कॉल
इस मामले में हरिहर पांडेय ने पुलिस को बताया है कि 24 अगस्त बुधवार को उनके मोबाइल पर कॉल आई थी। कॉल करने वाले ने ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित बात करते हुए कहा धमकी दी कि तुम्हारा ही नहीं, जल्द ही पूरे परिवार का काम तमाम कर दूंगा। इतना कहने के बाद कॉल काट दी गई। इसी दौरान ह्वाट्सएप पर कटे हुए सिर की फोटो भी आई। उन्होंने कहा कि किसी अनहोनी की आशंकावश लक्सा थाने पर तहरीर दी तो धमकी से संबंधित मोबाइल नंबर के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया।
मुकदमा दर्ज, जांच शुरू
इस संबंध में लक्सा थानाध्यक्ष अनिल कुमार साहू ने बताया कि तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
पहले भी मिल चुकी है धमकी, मिला था सरकारी गनर जो अब हटा लिया गया
बकौल हरिहर पांडेय 8 अप्रैल 2021 को वाराणसी की सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) का आदेश दिया था। उसी रोज भी देर शाम उनके मोबाइल पर एक कॉल आई थी। फोन करने वाले ने खुद को दालमंडी निवासी यासीन बताया था। उसका कहना था कि पांडेय जी मुकदमें में आपने आदेश तो करा लिया है लेकिन एएसआई वाले ज्ञानवापी में घुस नहीं पाएंगे। आप और आपके सहयोगी मारे जाएंगे। ऐसे में 9 अप्रैल उस धमकी के बाबत पुलिस से शिकायत की तो उन्हें सरकारी सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। लेकिन अब वो सरकारी सुरक्षा भी हटा ली गई है। ऐसे में वो खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
1991 में हरिहर पांडेय ने सिविल कोर्ट में दो अन्य के साथ दायर किया था मुकदमा
हरिहर पांडेय ने बताया कि प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विशेश्वरनाथ की ओर से पंडित सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और उन्होंने बतौर वादी 1991 में सिविल कोर्ट में याचिक दायर की थी। अदालत में मुकदमा दायर होने के कुछ वर्ष बाद पंडित सोमनाथ व्यास और रामरंग शर्मा का निधन हो गया। अब वही इस मुकदमे के पक्षकार के तौर पर बचे हैं।
Published on:
25 Aug 2022 08:14 pm
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