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काशी का यह अनोखा शिवलिंग, जिसमें जौ के समान होती है वृद्धि

हर साल जौ इतना बढ़ता है शिवलिंग, ये है खास मान्यता

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Jageshwar Mahadev

Jageshwar Mahadev

वाराणसी. यूं तो काशी की पहचान भोले नाथ से है। यहां के कण-कण में भगवान शंकर बसे हुए हैं। यहां काशी विश्वनाथ मंदिर की प्रसिद्ध है ही साथ ही यहां एक ऐसा शिवलिंग है जो हर महाशिवरात्रि पर जौ के बराबर बढ़ जाता है। वह ईश्वरगंगी स्थित सिद्धपीठ श्री जागेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग है। सावन मास में इस मंदिर का नजारा अद्भुत होता है। शिव भक्त बिना यहां दर्शन किए नहीं जाते।

यह है खास मान्यता
हम आपको हजारों वर्ष पुराने शिवलिंग जो सिद्ध पीठ श्री जागेश्वर महादेव मंदिर में स्तिथ है। जिसकी लंबाई हर महाशिवरात्री को जौ के बाराबर अपने आप बढ़ जाती है। मंदिर के पूजारी स्वामी मधुर कृष्ण के अनुसार यहां की मान्यता है कि इसके दर्शन, स्पर्श एवं पूजन से सभी प्रकार की मनोकामना पूरी हो जाती है और यह मेरा स्वंय अनुभव भी रहा है। अगर कोई इस शिवलिंग का तीन साल तीन महीने दर्शन कर ले या सिर्फ तीन महीने ही दर्शन कर ले तो उसके सारे कष्ट दूर होने के साथ हर मनोकामना भी पूरी हो जाती है। यह भव्य शिवलिंग जागेश्वर महादेव नाम से विख्यात है।

जौ जितना बढ़ता है शिवलिंग
स्कन्दपुराण काशी खण्ड के अनुसार जिस समय शिव काशी छोड़कर मन्दराचल चल गए उसी दिन जागीषव्य मुनि ने दृढ़ नियम लिया था कि शिव दर्शन के बाद ही एक बूंद जल ग्रहण करूंगा। इसके बाद इनके दृढ़ योग से शिव प्रसन्न हो गए और नन्दी को लीलाकमल के साथ गुफा में भेजा। जिसको श्पर्स करते ही मुनि का क्षीण शरीर पूरू तरह ठीक हो गया और बाद मुनि ने शिव से यह वरदान मांगा कि अआप यहां के शिवलिंग में हमेशा आप उपस्तिथ रहें। इसके बाद शिव ने इन्हें यह वरदान दिया कि यह शिवलिंग दुर्लभ होगा जिसके सेवन से मनुष्य की हर कामना पूरी होगी साथ ही तुम मेरे चरणों के सपीप वास करोगे। जिसके बाद से ही हर शिवरात्रि पर शिवलिंग में जौ के समान वृद्धि होती है। मंदिर के गुफा का कोई अंत नहीं है। एक बार इस गुफा का पता लगाने के लिए खुदाई करने गई पर सांप, बिच्छु इतने निकलने लगे कि गुफा को बंद करना पड़ा। यह मंदिर ईश्वरगंगी नहरपुरा वाराणसी में है।