वाराणसी

काशी में इन महादेव के पूजन के बाद हुआ था स्वामी विवेकानंद का जन्म, जानें कहां है इन महादेव का शिवलिंग, क्या है खास बात

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के कण-कण में शिव विद्यमान हैं ये तो सर्वविदित है। पर बाबा विश्वनाथ का शरीर कहीं और आत्मा कहीं और निवास करती हो ये आश्चर्य चकित करने वाला मसला है। लेकिन ये हकीकत है। मान्यता है कि श्री काशी विश्वनाथ की आत्मा आत्म विश्वेश्वर महादेव के शिवलिंग में बसती है। इन आत्म विश्वेश्वर महादेव के मंदिर और उनकी एक और कथा है जिसके अनुसार इसी मंदिर में पूजन के बाद स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था। तो जानते हैं इन आत्म विश्वेश्वर महादेव के बारे में विस्तार से..

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Jul 12, 2022
आत्मविश्वेश्वर महादेव के शिवलिंग की पूजा करती हैं महिला श्रद्धालु

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. आदि देव शिव की महिमा को अपरंपार है। बाबा भोलेनाथ के कितने रूप हैं और किन-किन स्वरूपों में उनकी कया महिमा है, क्या-क्या है उनका नाम, वो कब कहां निवास करते हैं, उनका शरीर कहां रहता हैं और कहां रहती है उनकी आत्मा। ये जान पाना इतना सहज नहीं। यही नहीं बाबा विश्वनाथ के अलग-अलग स्वरूपों की अलग-अलग मान्यता है। बाबा की नगरी काशी में एक ऐसा शिवालय है जिसके बारे में मान्यता है कि इस शिवलिंग का पूजा-अर्चना करने से योग्य पुत्र की प्राप्ति होती है। मंदिर के महंत बताते हैं कि इस मान्यता पर विश्वास करते हुए ही स्वामी विवेकानंद के पिता, विश्वनाथ दत्त और माता भुवनेश्वरी देवी ने मंदिर में आ कर विधिविधान से पूजन-अर्चन किया जिसके बाद उन्हें विवेकानंद सदृश्य पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

मां कात्यायनी के गर्भ गृह में स्थित है आत्म विश्वेश्वर महादेव का शिवलिंग

आत्म विश्वेश्वर महादेव का शिवलिंग मां कात्यायनी देवी के गर्भ गृह में स्थित है। मंदिर के महंत पंडित रविशंकर मिश्र ने पत्रिका संग बातचीत में बताया कि यह आत्म विशेश्वर महादेव का शिवलिंग है। यह श्री काशी विश्वनाथ की आत्मा के रूप में पूजे जाते हैं। इसी शिवलिंग में बाबा विश्वनाथ की आत्मा बसती है। उन्होंने बताया कि धर्म शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार इस शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से हर मुराद पूरी होती है। पंडित मिश्र ने बताया कि जिस तरह के श्री काशी विश्वनाथ की पूजा-अर्चना होती है, जो-जो आरती बाबा विश्वनाथ की होती है वो सारी प्रक्रिया यहां भी निभाई जाती है। यहां भी शाम के समय सप्तश्री आरती होती है। यह काफी प्राचीन मंदिर है। श्री काशी विश्वनाथ से भी पुराना है यह मंदिर। उन्होंने बताया कि इस मंदिर परिसर में मां कात्यायनी और आत्म विशेश्वर का शिवलिंग तो है ही साथ में सभी नवग्रह का विग्रह भी है।

इसी शिवलिंग के पूजन के बाद स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ

मां कात्यायनी के जिस गर्भगृह में आत्मविश्वेश्वर का शिवलिंग है उसी कक्ष की दीवार पर एक तस्वीर टंगी है, उसके बारे में मंदिर के महंत पंडित रविशंकर मिश्र ने बताया कि ये स्वामी विवेकानंद के माता-पिता हैं। बताया कि स्वामी विवेकानंद जी के पिता, विश्वनाथ दत्त और माता भुवनेश्वरी देवी को काफी समय तक कोई संतति नहीं हुई। इसे लेकर वो दोनों काफी परेशान थे। ऐसे में वो काशी आए, उन्हें किसी ने बताया कि आप दोनों आत्म विशेश्वर मंदिर में जाएं वहां बाबा विश्वनाथ की आत्मा का शिवलिंग है। उनका सविधि पूजन-अर्चन करें, योग्य पुत्र की प्राप्ति तय है। पंडित रविशंकर ने बताया कि स्वामी जी के माता-पिता को जैसा बताया गया था उन्होंने वैसा ही किया। आत्म विशेश्वर महादेव के पूजन के फलस्वरूप उन्हें 12 जनवरी 1863 को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसका नाम रखा गया वीरेश्वेर, जो बाद में नरेंद्र। स्वामी जी के स्वामी राम कृष्ण परमहंस के सानिध्य में आने के बाद उनका स्वामी विवेकानंद हुआ।

Published on:
12 Jul 2022 10:03 am
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