
CM Yogi Adityanath
वाराणसी. यूपी में बीजेपी का सबसे सुरक्षित किला ढह चुका है। यूपी में जब बीजेपी बहुत कम सीट जीतती थी तब भी गोरखपुर में भगवा झंडा ही लहराता था लेकिन इस बार सपा व बसपा गठबंधन ने उपचुनाव में सबसे बड़ा उलटफेर करते हुए सीएम योगी की सीट पर अपना कब्जा कर लिया है। सीएम योगी को इस बात का अहसास हो गया था कि चुनाव में हार भी हो सकती है इसलिए कार्यकर्ताओं से सीएम योगी ने खास बात कही थी, लेकिन कार्यकर्ताओं ने उस बात पर ध्यान नहीं दिया और हाथ से सीट निकल गयी।
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गोरखपुर संसदीय सीट पर मतगणना से तीन पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने कार्यकर्ताओं से कहा था कि शहर की सीटों पर 60 प्रतिशत मतदान होना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो नुकसान हो सकता है। सीएम योगी ने स्पष्ट कर दिया था कि शहरी क्षेत्र के मतदान का प्रतिशत 60 सेे एक प्रतिशत भी कम नहीं होना चाहिए। सीएम योगी जानते थे कि इस बार उनके प्रत्याशी का सामना सपा व बसपा गठबंधन है जिसके अधिक कैडर वोटर गांव में रहते हैं इसलिए चुनाव जीतने के लिए बीजेपी को शहरी वोटरों की ताकत मिलनी चाहिए। कार्यकर्ताओं ने सीएम योगी की इस बात पर ध्यान नहीं दिया और शहरी क्षेत्र में लगभग 37 प्रतिशत ही मतदान हो पाया। इसके चलते बीजेपी प्रत्याशी को 22 हजार वोटों से हारना पड़ा। इससे साफ हो जाता है कि सीएम योगी की बात कार्यकर्ताओं ने मानी होती तो बीजेपी प्रत्याशी अपनी हार को जीत में बदल सकते थे।
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सीएम योगी व विरोधी खेमा नहीं हो पाया एकजुट
बीजेपी ने उपेन्द्र दत्त शुक्ला को प्रत्याशी बनाया था। सीएम योगी के विरोधी खेमे के माने जाने वाले शिवप्रताप शुक्ला के करीबी उपेन्द्र दत्त शुक्ला को लेकर सीएम योगी ने शुरू में नाराजगी दिखायी थी इसके चलते वह बीजेपी प्रत्याशी के नामांकन में नहीं पहुंचे थे बाद में बीजेपी ने सीएम योगी के खास को एक महत्वपूर्ण पद दिया था इसके बाद सीएम योगी की नाराजगी कम हुई थी और फिर चुनाव प्रचार में जुट गये थे।
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Published on:
15 Mar 2018 11:26 am
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