वाराणसी। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है। इस इस्तीफे के पीछे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा है कि मुझे सदन में दलितों के पक्ष में बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है इसलिए मैं इस्तीफा दे रही हूँ। पत्रिका ने मायावती के कार्यकाल में उन विषयों की पड़ताल की है जिनको उन्होंने राज्यसभा के अपने कार्यकाल में सदन उठाया है। मायावती द्वारा 30 अप्रैल 2012 से लेकर अब तक राज्यसभा में कुल 288 सवाल पूछे हैं औए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव( स्पेशल मेंशन ) के तहत 80 बार विभिन्न मुद्दों पर हुई बहस में हिस्सा लिया है ,जिनमे से केवल 5 बार बहस का मुद्दा दलित रहे हैं। हांलाकि सदन में होने वाली बहसों में उनकी उपस्थिति का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से कम है। मायावती ने सदन में दलितों से सम्बंधित मुद्दे पर आखिरी बार बहस तक़रीबन एक साल पहले 16 जुलाई 2016 को की थी। दिलचस्प यह है कि मायावती द्वारा मौजूदा सरकार में केवल चार बार दलित उत्पीडन से जुड़े मुद्दों पर सदन में बहस की गई है
कब कब उठाया दलितों का मुद्दा
मायावती ने आखिरी बार 21 जुलाई 2016 को देश के अलग अलग इलाकों में दलितों के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर लाये गए ध्यानकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लिया था। 6 मई 2016 को बांदा में एक दलित व्यक्ति की भूख से हुई मौत को लेकर 24 फरवरी 2016 को उन्होंने हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की मौत को लेकर हुई। सदन में चर्चा के दौरान भी मायवती ने सवाल जवाब किये। इसके अलावा पंजाब के मोगा जिले में दलितों के साथ दुर्व्यहार और दलितों से जुड़े एकाध अन्य मामलों को लेकर मायावती ने बहस में हिस्सा लिया।
किन किन बहसों में रही माया
मायावती ने जिन बहसों में हिस्सा लिया उनमे कांशीराम को भारत रत्न की मांग ,इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में टेम्परिंग , डॉ आंबेडकर की प्रतिमा को तोड़े जाने ,किताबों में नेहरु और आंबेडकर के नाम को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किये जाने जैसे विषय भी शामिल थे। मायावती ने अल्पसंख्यकों और कश्मीर पर हुई बहस में भी उन्होंने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया मायवती की सदन में उपस्थिति 90 फीसदी रही गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 2012 का चुनाव हारने के बाद से ही मायावती ने राज्यसभा का रुख कर लिया था सदन में दलितों से जुड़े मुद्दों पर बहस कम होने की बात पर संविधान विशेषज्ञ अतुल राय कहते हैं कि यह मायावती को चाहिए था कि वो दलितों से जुड़े ज्यादा से ज्यादा मुद्दों पर सदन में बहस कराने के लिए विशेष आकर्षण प्रस्ताव लायें यह जिम्मेदारी सदन के अन्य सदस्यों की भी है।