
Maa Chandraghanta
वाराणसी. शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन मां चन्द्रघंटा के दर्शन का विधान है। आदि शक्ति मां दुर्गा के नौ रुप सृष्टि और मानव जाति के भले के लिए प्रकट हुए हैं। भक्तों को नवरात्र का इंतजार रहता है और वह नौ दिन माता का दर्शन करने का मौका नहीं छोड़ते हैं। भक्तों के सामने सबसे बड़ी समस्या होती है कि मा के नौ रुप को कौन सा प्रसाद चढ़ाया जाया। बनारस के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पं ऋषि द्विवेदी लोगों की इस शंका का समाधान कर रहे हैं।
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं ऋषि द्विवेदी ने बताया कि माता केा प्रसन्न करने के लिए गुड़हल की माला, चमेली का फूल के साथ सफेद पेड़ा या बर्फी के साथ नारियल चढ़ाया जाता है। माता के मस्तक पर चन्द्रमा विराजमान है और माता की आवाज घंटे की तरह है। इसका अभिप्राय है कि माता अपने भक्तों को निर्भय होने का वरदान देती है। अध्ययन करने वाले छात्र मन से मां की अराधना कर नवरात्र के तीसरे दिन दर्शन करते हैं तो उन्हें विनम्रता व ज्ञान की प्राप्ती होती है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि नौ देवी में मां चन्द्रघंटा ऐसी देवी है जो निर्भयता के साथ विनम्रता प्रदान करती है। इनकी उपासना करने से मणिपुत्रक जागृत होता है। माता के दस हाथ है और वह सिंह पर सवार है। माता हमेशा अपने भक्तों के शत्रुओं का नाश करती है इनकी अराधना करने से जीवन में आने वाली सभी बाधा दूर हो जाती है भक्त के जीवन सुखमय हो जाता है।
Published on:
01 Oct 2019 06:30 am
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