
Nagar Nikay Chunav
वाराणसी. निकाय चुनाव में मतदान के बाद बड़ा खुलासा हुआ है। इस चुनाव में सपा, कांग्रेस व बसपा ने हमला नहीं बोला है। इससे साफ हो जाता है कि निकाय चुनाव के पहले ही इन दलों ने भविष्य की रणनीति के अनुसार काम किया है। निकाय चुनाव प्रचार में साफ हो जाता है कि संसदीय चुनाव २०१९ में इस रणनीति पर बीजेपी के दल काम करेंगे।
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निकाय चुनाव में सबसे अधिक रैली व सभा बीजेपी ने किया है। इसके विपरित विरोधी दल सपा, कांग्रेस व बसपा ने नुक्कड़ सभा तक ही अपनी ताकत दिखायी है। विरोधी दलों ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला था। पीएम नरेन्द्र मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ , जीएसटी व नोटबंदी को लेकर प्रहार करने का विरोधी दलों ने मौका नहीं छोड़ है, लेकिन इन दलों ने एक-दूसरे पर हमला बोलने की रणनीति छोड़ दी है। सपा ने इस चुनाव में एक बार भी कांग्रेस व बसपा पर हमला नहीं बोला। इसी रणनीति के तहत बसपा व कांग्रेस ने भी बीजेपी के अतिरिक्त किसी दल पर निशाना नहीं साधा।
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तो क्या पड़ गयी है महागठबंधन की नींव
निकाय चुनाव में बीजेपी के विरोधी दलों का एक-दूसरे पर राजनीतिक हमला नहीं बोलना साफ कर देता है कि महागठबंधन की नींव पड़ चुकी है। सपा, कांग्रेस व बसपा के नेताओं ने संदेश दिया है कि निकाय चुनाव को प्रयोग के तौर पर लड़ा गया है और चुनाव परिणाम के अनुसार ही यूपी में भविष्य में सीटों का बंटवारा होगा।
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विरोधी दलों के बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार से बनायी दूरी
यूपी चुनाव 2014 में सपा, बसपा व कांग्रेस के करारी शिकस्त मिली थी। कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर की पार्टी है इसलिए एक ही राज्य के चुनाव परिणाम से कांग्रेस को बहुत नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन सपा व बसपा क्षेत्रीय पार्टी है इसलिए यूपी चुनाव का परिणाम उनके भविष्य के लिए खतरे की घंटी बजना जैसा था इसके बाद भी निकाय चुनाव में पार्टी के प्रत्याशियों को विजय दिलाने के लिए अखिलेश व मायावती ने चुनाव प्रचार नहीं किया। इससे साफ हो जाता है कि बड़े नेताओं के चुनाव प्रचार करने के दौरान जब वह बीजेपी के साथ अन्य विरोधी दलों पर हमले नहीं बोलते तो सवाल खड़ा होने लगता है और इसका सीधा नुकसान निकाय चुनाव में इन दलो को होता। इन नेताओं ने दूरदर्शिता दिखाते हुए खुद को निकाय चुनाव से दूर रख कर महागठबंधन बनने पर लगभग अपनी मुहर लगा दी है।
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Published on:
29 Nov 2017 07:46 pm
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