परीक्षाओं की घटती साख, देश की शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न
वाराणसीPublished: Apr 02, 2018 01:36:42 pm
प्रश्न पत्रों के लीक मामले में प्रथम द्रष्ट्या प्रश्न पत्र निर्माता, प्रश्न पत्र माडरेटर, परीक्षा नियंत्रक, मुद्रक, प्रश्न पत्र संरक्षक जिम्मेदार।


पेपर लीक मामले का विरोध करती छात्राएं
प्रो. ओंकार सिंह यूं तो विभिन्न नौकरी से संबंधित प्रतियोगी परीक्षाओं की शुचिता पर प्रश्न चिह्न लगना हमारे देश में अक्सर सुनने में आता रहा है। लेकिन हाल के दिनों में देश की प्रतिष्ठित केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षाओं की दसवीं और बारहवीं का प्रश्न पत्र लीक मामलों ने शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ रूपी माध्यमिक शिक्षा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। इस प्रश्न पत्र लीक मामले के प्रति संवेदनशीलता इसलिए आवश्यक है क्योंकि इसने दसवीं और बारहवीं स्तर के बच्चों की मासूमियत पपर भी प्रश्न चिह्न लगा दिए हैं। अभी तक की आम धारणा यही कहती है कि बारहवीं कक्षा तक के स्कूली बच्चे परीक्षाओं में बेहतर करनेर के लिए परीक्षा में नकल करते हैं जिसमें वे और उनके समकक्षी छात्र-छात्राएं ही लिप्त होते हैं। कोई संगठित
तंत्र नहीं। माध्यमिक स्तर की परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों के लीक होने का मामला परोक्ष रूप से किसी छात्र-छात्रा की भूमिका को नकारते हुए परीक्षा तंत्र के सफल संचालन के लिए जिम्मेदारों की सत्यनिषि्ठा पर सवाल उठाता है। प्रश्न पत्रों के लीक मामले में प्रथम द्रष्ट्या प्रश्न पत्र निर्माता, प्रश्न पत्र माडरेटर, परीक्षा नियंत्रक, मुद्रक, प्रश्न पत्र संरक्षण के लिए जिम्मेदारों व परीक्षा केंद्रों तथा आयोजकगणों में से किसी एक अथवा कई की संदिग्ध भूमिका होने की आशंका प्रतीत होती है जिससे किसी भी स्तर पर छात्र-छात्राओं की सीधी सहभागिता नहीं है। यह जरूर है कि ऐसा करने वालों ने कतिपय छात्र-छात्राओं को इस प्रकार का प्रलोभन देकर अनैतिक मार्ग दिखाने का घृणित कार्य किया है।