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मुलायम की ताकत का इस्तेमाल कर विपक्ष को कमजोर कर सकती है भाजपा 

मुलायम की ताकत का इस्तेमाल कर विपक्ष को कमजोर कर सकती है भाजपा 

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Awesh Tiwary

Jul 19, 2017

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आवेश तिवारी
वाराणसी । 20जून 2006, दिन का वक्त था। तत्कालीन राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ कलाम ने आफिस आफ प्राफिट बिल को संसद को वापस कर दिया था, जिसकी वजह से कांग्रेस पार्टी डॉ कलाम से बेहद नाखुश थी। इन सबके बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेहद नजदीक कहे जाने वाले कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी अपने कुछ अमेरिकी दोस्तों के साथ दिल्ली में बैठे हुए थे। राशिद अल्वी ने अपनी बातें शुरू की उन्होंने कहा 'जुलाई में मानसून शुरू होने से पूर्व हमारी सरकार गिर सकती है ,पार्टी को डॉ कलाम और मुलायम सिंह यादव के रिश्ते की वजह से बेहद चिंता हो रही है, अग्नि मिसाइल के कार्यक्रम को आगे बढाने में मुलायम का महत्वपूर्ण योगदान है और यह बात किसी से नहीं छिपी है कि डॉ कलाम ,मुलायम सिंह यादव के प्रति विशेष अनुराग रखते हैं'। राशिद अल्वी के पास बैठे उनके अमेरिकी मित्र चौंक उठे जब उन्होंने कहा कि यह संभव है कि सपा और भाजपा मिलकर केंद्र में सरकार बनाने का दावा करें और राष्ट्रप्रति उनके प्रस्ताव को मान ले'। मुलायम एक बार फिर चर्चा में है। अब चर्चा इस बात की है कि पुत्र अखिलेश यादव के कथित विश्वासघात और देश की राजनीति में अचानक हाशिये पर धकेल दिए जाने के संताप का भाजपा अपने पक्ष में इस्तेमाल कर सकती है। निस्संदेह इसमें भाजपा का भी फायदा निहित है कि वो मुलायम का इस्तेमाल कर किसी संभावित महागठबंधन को कमजोर कर सके।
मुलायम नहीं करते भाजपा से नजदीकियों का खंडन
मुलायम के बारे में कहा जाता रहा है कि वो जब भाजपा के नेताओं से भावी योजनाओं के बारे में बात करते हैं ठीक उसी वक्त वो वामपंथ से भी चर्चा कर रहे होते हैं ,चूँकि उनकी प्रतिबद्धता दक्षिणपंथियों और वामपंथियों के बीच डोलती रहती है इसलिए उन पर कोई विश्वास नहीं करता। यह बात जगजाहिर है कि विधानसभा चुनावों से पूर्व अगर मुलायम सिंह यादव की चलती तो वो कांग्रेस के साथ चुनाव कत्तई नहीं लड़ते ,चुनाव से पूर्व समाजवादी पार्टी में इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि अगर सपा को कुछ सीटों की कमी हुई तो मुलायम सिंह भाजपा से भी असमर्थन लेने से गुरेज नहीं करेंगे। यह मुलायम का अपना कद ही है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही को उनसे विरक्ति नहीं है। यह भी सच है कि जब भाजपा के साथ उनकी नजदीकियों की अफवाह उड़ती है तो वो उस अफवाह का खंडन भी नहीं करते।

शिवपाल के दामाद के लिए नियम कायदे तोड़ आगे आया था पीएमओ
मुलायम के भाजपा के साथ रिश्तों को देखा जाए तो मोदी सरकार के अस्तित्व में आने के बाद से दोनों ही पार्टियों के बीच तल्खियाँ कम हुई है। ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर जहाँ भाजपा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किये गए हलफनामे को लेकर जहाँ विपक्ष लगातार आलोचना कर रहा है ,वही मुलायम सिंह यादव ने उम्मीद से परे सरकार के हलफनामे का विरोध न करते हुए कहा है कि ज‌िसकी जो मान्यता है उसे मानते रहना चाहिए इससे किसी और को परेशानी नहीं होनी चाहिए मुलायम ने कहा कि जिसे हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्मों के ग्रंथों में इंसानियत है। दोनों इन्हें पढ़ें और मिलजुलकर रहें। इसके पहले पिछले शिवपाल के दामाद अजय यादव के आईएएस कैडर के बदलाव को लेकर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने जैसी तेजी दिखाई है वो भी बेहद चर्चा में रही है |पीएमओ के आदेश पर विशेष बैठक बुलाकर नियमों को तोड़ते हुए शिवपाल के दामाद का तामिलनाडू से यूपी कैडर में स्थानान्तरण किया गया एक मुलायम के समर्थक वरिष्ठ समाजवादी नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं यह सही वक्त है कि अखिलेश अपनी चुप्पी तोड़ें और पिता का सम्मान करते हुए उन्हें पार्टी में पुरानी जगह दें क्योंकि मुलायम ने अगर अपनी राजनीति दिखा दी तो समूचे विपक्ष को मुश्किल होगी।