इसके अलावा रमना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जिसे हाल ही में केंद्र सरकार की मंजूरी मिली है। इसके लिए 2003 में तीन सौ एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई थी। यहां अभी तक कोई काम शुरू नहीं हो सका है। इतना ही नहीं कास्तकारों की मानें तो यह उपजाऊ कृषि योग्य जमीन है। इसके अधिग्रहण के वक्त संकट मोचन फाउंडेशन ने आपत्ति भी जताई थी। फाउंडेश के अध्यक्ष प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र के अनुसार रमना की जमीन में सब्जी की खेती होती थी। यहां का बोड़ा, सेम आदि दूसरे प्रांतों को भेजा जाता रहा। फाउंडेशन ने अपनी आपत्ति में शासन-प्रशासन को बताया भी था इसके अलग बंजर सरकारी जमीन खाली पड़ी है वहां एसटीपी का निर्माण किया जाना चाहिए। मजेदार तो यह कि रमना में जल निगम की गंगा कार्य योजना इकाई ने जमीन ली एसटीपी के लिए और उसे नगर निगम के हवाले कर उसे कूड़ा डंपिंग ग्राउंड बना दिया गया है।