पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और स्वदेश के माध्यम से पत्रकारिता के क्षेत्र में जो मूल्य और मानदंड स्थापित किया, वह आज के पत्रकारों के लिए अनुकरणीय है।
वाराणसी. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के तत्वावधान में पंडित दीनदयाल का पत्रकारिता में योगदान विषय पर आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. अरुण कुमार भगत ने कहा " पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजनेता,अर्थ चिंतक, सामाजिक कार्यकर्ता, संगठनकर्ता, और श्रेष्ठ वक्ता के साथ- साथ श्रेष्ठ संचारक, लेखक,पत्रकार तथा संपादकों के भी संपादक थे। उनका मानना था कि पत्रकारिता करते समय राष्ट्र हित को सर्वोपरि मानना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और स्वदेश के माध्यम से पत्रकारिता के क्षेत्र में जो मूल्य और मानदंड स्थापित किया, वह आज के पत्रकारों के लिए अनुकरणीय है। वे पांचजन्य में विचार वीथी और ऑर्गनाइजर में पॉलिटिकल डायरी नियमित लिखा करते थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी मिशनरी भाव की पत्रकारिता के आग्रही थे। उन्होंने पत्रकारिता के सेवव्रती संस्कार को अपनाया।
प्रो अरुण कुमार भगत ने कहा कि वे सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता के आग्रही थे। वे पांचजन्य और राष्ट्रधर्म के संपादकों को शालीन और सौम्य भाषा के प्रयोग करने की सलाह देते थे। उनका मानना था कि पत्रकारिता करते समय राष्ट्र हित को सर्वोपरि मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय पांचजन्य और राष्ट्रधर्म के लिए लेखन से लेकर कंपोजिंग,मशीन चलने तथा बंडल बांधने तक का काम स्वयं करते थे। वे समाचार के स्वरूप, उसकी भाषा, शीर्षक आदि लगाते समय विशेष रूप से सावधानी बरतने की सलाह देते थे। इस अवसर पर महामना मदनमोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक प्रो ओम प्रकाश सिंह, शोध पीठ के निदेशक दिवाकर लाल श्रीवास्तव, प्रो ए एन सिंह , डॉ राजेश, डॉ सूर्य नारायण सिंह डॉ शैलेन्द्र इत्यादि मौजूद रहे।