22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Shani Dev खुश होंगे तभी होगा Ram मंदिर निर्माण

रामनवमी पर विशेष, जानिए क्यों हो रहा विलंब

3 min read
Google source verification

image

Devesh Singh

Apr 14, 2016

Ram Navami

Ram Navami

DEVESH SINGH
वाराणसी.
ग्रह दशा अनुकूल हो तभी सब काम संभव हो पाता है यह बात अवतार लिये प्रभु व मानव दोनों पर निर्भर करती है। जिस प्रभु अवतार श्रीराम ने रावण का संहार किया था उन्हीं मंदिर की राह में ग्रह रोड़ा अटका रहे हैं। राम मंदिर के निर्माण में शनिदेव बाधा बने हुए हैं। पत्रिका ने रामनवमी के पहले जब काशी के ज्योतिषाचार्य से प्रभु श्रीराम की कुंडली की जानकारी मांगी तो उन्होंने स्थिति स्पष्ट कर दी। हालांकि राम मंदिर का मसला सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन है और वहां से जो निर्णय होगा वह सर्वोपरि है। पत्रिका की खबर सिर्फ ज्योतिष गणना के आधार पर है।
प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार मयार्दा पुरुषोत्तम की बात होती है तो इसमें सर्वोपरि नाम भगवान श्रीराम का ही आता है। प्रभु का चरित्र उच्च, आदर्श, गुण, स्वभाव प्रकृति दूसरों के लिए अपना जीवन समर्पित करने के साथ सबके लिए आदर्श है। भगवान श्रीराम की कुंडली भी अपने आप में सर्वोपरि है। देखा जाए तो वाल्मीकि रामायण में इनके जन्म के बारे में जो वर्णन है, उसके आधार पर गणना कर यह कुंडली बनाई गई है। इसमें कहा गया है कि
ततो यज्ञे समापेतु ऋतुनाम षट समत्ययु,
तत्शच द्वादशे मासे चैत्र नावमिके तिथौ।
नक्षत्रे तिति...
वाल्मीकि रामायण में वाल्मिकि ने जो कहा वह इस प्रकार है। भगवान राम की कुंडली में पांच ग्रह उच्च का और गुरु चंद्रमा एक साथ थे वहीं श्रीराम के जन्म काल के समय महाराज दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ समाप्ति के बाद 12 मास बीतने पर चैत्र शुक्ल नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र के समय कर्क लग्न में, पांच ग्रह जब अपने अपने उच्च में स्थित थे, गुरु चंद्रमा के साथ थे, उसी समय भगवान श्रीराम का अवतार हुआ था। इस आधार पर प्रभु श्रीराम की कुंडली बनाई गई। इसके अनुसार भगवान राम का जीवन अक्षरश: सत्य गुजरा। सभी उच्च ग्रहों के प्रभाव देखने को मिले। इसमें मंगल व शनि विशेष रहे। अब यदि प्रभु श्रीराम की कुंडली का गोचर अध्ययन किया जाए तो ज्योतिष शास्त्र में चतुर्थेश की दशा अंतरदशा में गृह निर्माण या नेक मंगल की दशा में गृह निर्माण या गोचर से चतुर्थेश आय भावगत होता है या चुतर्थ भाव में बैठे ग्रह का संचरण जब आय भाव पर होता है। इन सबमें सबसे मजबूत ग्रह शनि भगवान श्रीराम की कुंडली में चतुर्थ भाव में बैठा है। अत: पूर्व में छह दिसंबर 1992 को मंदिर निर्माण की बात चली तो उस समय भी शनि का संचरण मकर राशि पर रहा। जहां से वह दशम दृष्टि से गृह भाव चतुर्थ को देख रहा था। वर्ष 2014 में शनि का संचरण तुला राशि पर रहा तब राम जन्म भूमि का शिलान्यास हुआ था। फलत: शनि के अनुकूल होने पर ही रामजन्म भूमि पर मंदिर निर्माण हो पाएगा। वर्तमान में इस तरह के ग्रहों का शुभ योग नहीं दिख रहा लेकिन यह सत्य है कि भगवान राम के चतुर्थ के भाव में बैठा उच्च का शनि राम मंदिर का निर्माण जरूर कराएगा लेकिन इसके लिए वर्षों इंतजार करना होगा।
Rishi Dwivedi

15 अप्रैल को है रामनवमी
ज्योतिषाचार्य के अनुसार सनातन धर्म में चैत्र मास का अपना एक विशिष्ट स्थान है। देखा जाए तो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष का आरंभ व इसी दिन से ब्रह्मïा ने सृष्टि की रचना शुरू की थी इसे शक्ति की आराधना का पर्व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है जो रामनवमी तक चलता है। देखा जाए तो नववर्ष का प्रथम पक्ष अर्थात् शुक्ल पक्ष बेहद खास होता है। इस पक्ष में नववषार्रंभ, नवरात्रारंभ, मत्स्यावतार, रामराज महोत्सव, राम जन्म व पूर्णिमा पर हनुमत जयंती मनाई जाती है।
खास यह कि प्रकृति के नियंता भगवान भास्कर का अपनी सर्वोच्च राशि मेष में संचरण होता है। इसमें महत्वपूर्ण यह कि चैत्र शुक्ल नवमी को मयार्दा पुरुषोत्तम राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस बार रामनवमी 15 अप्रैल को पड़ रही है। नवमी तिथि 14-15 की भोर 2.03 बजे लग रही है जो 15-16 की भोर 1.44 बजे तक रहेगी।

ये भी पढ़ें

image