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वाराणसी

पांच बड़े कारण जो शिवपाल यादव को बनाते हैं बेहद खास, मुश्किल वक्त में भी सपा का बिगड़ने नहीं दिया था खेल

मुलायम की मेहनत व शिवपाल यादव की रणनीति से यूपी की सत्ता तक पहुंची थी समाजवादी पार्टी, आसान नहीं होगा कमी को पूरा करना

वाराणसीSep 01, 2018 / 02:05 pm

Devesh Singh

Mulayam Singh Yadav Family

Mulayam Singh Yadav Family

वाराणसी. मुलायम सिंह यादव की ताकत व शिवपाल यादव की रणनीति के चलते ही यूपी की सत्ता तक सपा पहुंची थी। पार्टी में दूसरे नम्बर के नेता माने जाने वाले शिवपाल को सत्ता चलाने का लंबा अनुभव है। समाजवादी पार्टी से अलग होकर सेक्युलर मोर्चा बनाने की घोषणा ने प्रदेश की सियासत को नया रंग दे दिया है। सपा के लिए शिवपाल की कमी को पूरा करना आसान नहीं होगा।
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कांग्रेस के बाद यूपी की राजनीति में बीजेपी ने ही ताकत दिखायी थी। राम मंदिर के मुद्दे ने बीजेपी को दिल्ली की सत्ता तक पहुंचा दिया था। एक समय प्रदेश में बीजेपी की ही आंधी चल रही थी तो दूसरी तरफ बसपा भी अपना जनाधार बढ़ाने में जुटी थी। इन विषम परिस्थितियों में मुलायम सिंह यादव व शिवपाल यादव ने मिल कर सपा को ऐसे मुकाम पर पहुंचाया कि बड़े-बड़े नेता तक देखते रह गये थे। यूपी चुनाव 2017 की बात छोड़ दी जाये तो प्रदेश की राजनीति सपा व बसपा के बीच में ही रहती थी। शिवपाल यादव ने अब सपा से किनारे करने का ऐलान कर दिया है जिसके बाद से लोकसभा चुनाव 2019 में नये सियासी समीकरण का जन्म होना तय है। पांच वह कारण है जो शिवपाल यादव को बेहद खास बनाते हैं।
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1-संगठन खड़ा करने की क्षमता
मुलायम सिंह यादव सपा का चेहरा था तो शिवपाल यादव पर संगठन को खड़ा करने की जिम्मेदारी थी। शिवपाल ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया ओर यूपी में सपा खड़ी हो गयी। राजनीतिक जानकारों की माने तो शिवपाल के पास संगठन को बनाने की बड़ी क्षमता है। यूपी चुनाव में शिवपाल की कम सक्रियता का खामियाजा सपा भुगत चुकी है। शिवपाल जानते थे कि किस नेता या कार्यकर्ता को कौन सी जिम्मेदारी देकर पार्टी को मजबूत किया जा सकता है।
2-अफसर नहीं कर पाते थे गुमराह
सीएम योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगता है कि वह अफसरों की बातों में आ जाते हैं और सच्चाई नहीं देख पाते हैं जबकि शिवपाल यादव पर कभी ऐसा आरोप नहीं लगा था। सपा सरकार में शिवपाल यादव की मेहनत के चलते ही सपा के इतने जिला पंचायत जीतते थे। अफसरों पर शिवपाल यादव का इतना दबाव रहता था कि वह भ्रमित नहीं कर पाते थे।
3-सजातीय वोटरों पर अच्छी पकड़
युवा वर्ग भले ही अखिलेश यादव के साथ रहता है लेकिन पुराने समाजवादी के लिए मुलायम सिंह यादव व शिवपाल ही बड़े नेता है। यादव वर्ग को सत्ता की बागड़ोर देने में इन दोनों नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी। सपा के पुराने वोटर आज भी मुलायम व शिवपाल को ही अपना नेता मानते हैं। ऐसे में शिवपाल यादव के अलग होने से सपा के कैडर वोटरों में बिखराव होना तय है।
4-छोटे दलों को जोडऩे की क्षमता
शिवपाल यादव में छोटे दलों को जोडऩे की भी क्षमता है। यूपी चुनाव में बाहुबली मुख्तार अंसारी की पार्टी कौएद को शिवपाल ने ही सपा से जोड़ा था बाद में अखिलेश यादव ने कौएद का विलय खत्म कर दिया था। वर्तमान राजनीति की बात की जाये तो पीएम नरेन्द्र मोदी को रोकने के लिए राहुल गांधी, मायावती व अखिलेश यादव का महागठबंधन बनने जा रहा है ऐसे में छोटे दलों की भी भूमिका महत्वपूर्ण हो गयी है और छोटे दलों को जोडऩे में सपा को शिवपाल यादव की कमी खल सकती है।
5-सत्ता चलाने का लंबा अनुभव
मुलायम सिंह यादव के साथ शिवपाल यादव को सत्ता चलाने का लंबा अनुभव है जिसका फायदा सपा को पहुंचता था। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए सपा पर आरोप लगता था कि सता के दो सीएम मुलायम सिंह यादव शिवपाल भी है। जो नेता सत्ता की नब्ज को समझता है वह सत्ता तक भी पहुंच जाता है। शिवपाल यादव का यह अनुभव भी उन्हें अन्य नेताओं से करता है।
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