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सुंदरीकरण से तैयार हो रहे वाराणसी के घाट, खुदाई के दौरान मिला सैकड़ों वर्ष पुराना शिवलिंग

र्मनगरी काशी में शिवलिंग कौतूहल का विषय बना हुआ है। दरअसल, यहां के दशाश्वमेध घाट पर खुदाई के दौरान सैकड़ों वर्ष पुराना शिवलिंग मिला है, जो कि इस वक्त चर्चा का विषय बना हुआ है

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सुंदरीकरण से तैयार हो रहे वाराणसी के घाट, खुदाई के दौरान मिला सैकड़ों वर्ष पुराना शिवलिंग

सुंदरीकरण से तैयार हो रहे वाराणसी के घाट, खुदाई के दौरान मिला सैकड़ों वर्ष पुराना शिवलिंग

वाराणसी. धर्मनगरी काशी में शिवलिंग कौतूहल का विषय बना हुआ है। दरअसल, यहां के दशाश्वमेध घाट पर खुदाई के दौरान सैकड़ों वर्ष पुराना शिवलिंग मिला है, जो कि इस वक्त चर्चा का विषय बना हुआ है। खुदाई के दौरान लगभग सात फीट नीचे यह शिवलिंग का विग्रह मिला है। विग्रह उल्टी दिशा में है। शिवलिंग मिलने के बाद खुदाई का काम रोक दिया गया है। वहीं, लोगों में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई है। क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि यह शिवलिंग सैकड़ों वर्ष पुराना है।

सुंदरीकरण से तैयार हो रहे वाराणसी के घाट

दरअसल, वाराणसी में घाटों का सुंदरीकरण किया जा रहा है। घाटों पर एलईडी स्क्रीन और विकास के अन्य कार्यों के लिए खुदाई का काम किया जा रहा है। यह खुदाई वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर भी चल रही है। घाट पर मजदूर खुदाई कर ही रहे थे कि जल पुलिस चौकी के नीचे लगभग सात फीट खुदाई के बाद एक शिवलिंग का विग्रह देखा गया। इसे निकालने की कोशिश की गई लेकिन शिवलिंग नहीं निकला। अंत में मजदूरों ने खुदाई रोक दी और आला अधिकारियों को इसकी सूचना दी।

सबसे पुराना है दशाश्वमेध घाट

गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा का कहना है कि कि दशाश्वमेध घाट सबसे पुराना घाट है। यह घाट अपनी गंगा आरती के लिए विश्व प्रसिद्ध है। दशाश्वमेध घाट पुराने समय में ही पक्का घाट बन गया था। राजा-महाराजाओं ने इस घाट को पक्का घाट बनाया था। ऐसे में घाट की सीढ़ियों पर सात फीट नीचे इस शिवलिंग का मिलना इसके प्राचीन होने का पुख्ता सबूत हैं। हालांकि पुरातत्व विभाग से जांच कराने के बाद इसकी प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है।