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बीजेपी नहीं कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा इन दलों का एक होना

लोकसभा चुनाव 2019 को बिगड़ सकता है समीकरण, जानिए क्या है कहानी

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PM Narendra Modi and Rahual Gandhi

PM Narendra Modi and Rahual Gandhi

वाराणसी. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले बड़ा राजनीतिक उलटफेर हो सकता है। पूर्वांचल की सियासत में यह बात जोर पकड़ चुकी है कि अब लोकसभा चुनाव में सपा व बसपा का गठबंधन हो सकता है। मायावतीअखिलेश यादव की पार्टी एक होकर चुनाव लड़ती है तो बीजेपी से अधिक झटका कांग्रेस को लगेगा।
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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार पार्टी को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। गुजरात चुनाव में कांग्रेस को जिस तरह से लोगों को साथ मिला है उससे कांग्रेस बहुत उत्साहित है। कांग्रेस ने पहले ही लोकसभा चुनाव में महागठबंधन करने की योजना बनायी है, जिसे फेल होने के कगार पर पहुंच गयी है। सपा व बसपा ने कांग्रेस से दूरी बनाते हुए गठबंधन करने के संकेत दिये हैं। पूर्वांचल से जुड़े बसपा नेताओं की माने तो जल्द ही गठबंधन पर मुहर लग सकती है इसके बाद ही पता चलेगा कि सपा व बसपा के खाते में किस जिले की सीट आती है। स्थानीय नेताओं की निगाहे गठबंधन पर लगी हुई है।
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बीजेपी से अधिक झटका कांग्रेस को लगेगा
बीजेपी जानती है कि उसे चुनाव में गठबंधन का सामना करना होगा। यूपी चुनाव में कांग्रेस व सपा ने गठबंधन किया था इसके बाद भी बीजेपी का विजय रथ नहीं रुक पाया था यदि सपा व बसपा गठबंधन करते हैं तो कांग्रेस के पास अकेले लडऩे या फिर सपा व बसपा गठबंधन में बीच कुछ सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है ऐसी स्थिति में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। बीजेपी ने पहले से ही गठबंधन के खिलाफ चुनाव लडऩे की तैयारी की है।
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जानिए क्यों नहीं कामयाब हुआ सपा व कांग्रेस का गठबंधन
यूपी में अखिलेश यादव व राहुल गांधी का गठबंधन काम नहीं आया था इसकी मुख्य वजह दोनों दलों के कैडर वोटरों का साथ नहीं देना था। सपा के कैडर वोटरों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया था लेकिन कांग्रेस के कैडर वोटरों ने सपा प्रत्याशी की जगह बीजेपी का साथ दिया था इसके चलते दोनों दलों को नुकसान हुआ था। सपा व बसपा का मानना है कि दोनों दलों में गठबंधन होता है तो पार्टी के कैडर वोटर एक-दूसरे के प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कर सकते हैं।
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अखिलेश यादव ने पहले ही चल दी है चाल
अखिलेश यादव ने पहले ही घोषणा की है कि अब उनकी पत्नी डिंपल यादव चुनाव नहीं लड़ेंगी। इसकी जगह खुद अखिलेश ही चुनाव लड़ेंगे। इसका साफ मतलब सामने आता है। गठबंधन होने में सीटों का बंटवारा करने में सहयोगी दल के साथ विवाद होने से बचा जायेगा। साथ ही पीएम नरेन्द्र मोदी की फिर से लहर चल जाती है तो भी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पास सुरक्षित सीट रहेगी।
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