उत्तराखंड के डोईवाला में जन्मे दुर्गा मल्ल गोरखा भारत को आजाद कराने के आह्वान पर आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गए। इनकी कार्य कुशलता देखकर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने इन्हें गुप्तचर विभाग का कार्य भार सौंपकर कप्तान बनाया। बाद में उन्हें विशेष अभियान के लिए भारत-बर्मा सीमा पर नियुक्त किया। मणिपुर के उखरूल नामक स्थान पर 27 मार्च, 1944 के दिन मेजर दुर्गा मल्ल शत्रु के घेरे में फंस गए। दुर्गा को युद्धबन्दी के रूप में दिल्ली में लालकिले के बन्दीगृह में रखा गया। इनके विरुद्ध सैनिक अदालत में मुकदमा चलाया गया। 25 अगस्त, 1944 को दुर्गा मल्ल को फांसी दी गई। और इस तरह उन्हें आजाद हिन्द फौज के प्रथम शहीद होने का गौरव प्राप्त हुआ।