
Varanasi: बांग्लादेशी रोहिंग्याओं को देश में घुसपैठ कराने वाले गिरोह के शातिर मोहम्मद अब्दुल्ला को वाराणसी एटीएस इकाई ने कैंट स्टेशन के सेकेंड एंट्री से गिरफ्तार किया है। वह पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर से 28 नवंबर की रात वाराणसी पहुंचा था और रातभर शहर में घूमा। वहीं, 29 नवंबर को ज्ञानवापी समेत चार मस्जिदों में भी गया था। मो. अब्दुल्ला ने मेदिनीपुर में अपना ठिकाना बना रखा था।
एटीएस की पूछताछ में अब्दुल्ला ने बताया कि वह मूल रूप से म्यांमार के मांगडू के अकयाब जनपद का रहने वाला है। उसने पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले में थाना गढ़बेटा के दुर्गबनकटी के निवासी के रूप में अपना आधार और अन्य दस्तावेज तैयार कराया। उसने अब्दुस सलाम मंडल पुत्र असगर मंडल के नाम से फर्जी आधार बनवाया है। अब्दुल्ला के पास से एक मोबाइल फोन, तीन मेमोरी कार्ड, अब्दुस सलाम मंडल के नाम का आधार, निर्वाचन और पैन कार्ड, यूएनएचसीआर कार्ड, 1070 रुपये बरामद हुए हैं।
एटीएस वाराणसी इकाई के हत्थे चढ़ा म्यांमार निवासी घुसपैठिया मो. अब्दुल्ला ने मेदिनीपुर में छह साल पहले शादी की, फिर प. बंगाल का बाशिंदा बन गया था। उसने 2018 में शादी की। इस समय उसे छह बच्चे हैं। एटीएस उसकी पत्नी का भी ब्यौरा जुटा रही है।
आरोपी से बरामद मोबाइल फोन में उसके गिरोह की गतिविधियों से जुड़े कुछ व्हाट्सएप ग्रुप मिले हैं। ग्रुप में जुड़े सभी नंबरों को एटीएस ने निकलवाया है। सभी के नाम-पता की तस्दीक कराई जा रही है। व्हाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट की गई आपत्तिजनक सामग्रियों को सुरक्षित कर दिया गया है। ग्रुप के ज्यादातर सदस्य गिरोह से जुड़े बताए जा रहे हैं। मेमोरी कार्ड में भी कई तस्वीरें और दस्तावेज मिले हैं। वे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं के लिए भारत के नाम से तैयार फर्जी दस्तावेज हैं।
एटीएस ने उसके मोबाइल नंबर के जरिये उसका लोकेशन लिया। पता चला कि वह ज्ञानवापी मस्जिद के बाद दालमंडी की मस्जिद में भी गया था। फिर शहर में सवारी वाहन से घूमा, कुछ जगहों पर पैदल भी भ्रमण करता रहा। गुरुवार रात वह छावनी, नदेसर होते हुए कई जगह गया था। शुक्रवार दोपहर मस्जिदों में गया था। वह वापस जाने के लिए कैंट स्टेशन के पास पहुंचा था, तभी दबोचा गया।
अब्दुल्ला के पास से यूएनएचसीआर (संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी) का एक कार्ड मिला है। यह संगठन संघर्ष और उत्पीड़न के कारण घरों से भागने को मजबूर लोगों का जीवन बचाने, अधिकारों की रक्षा करने और बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए काम करता है। शरणार्थियों, विस्थापित समुदायों और राज्य विहीन लोगों की सुरक्षा के लिए यह अंतर्राष्ट्रीय संगठन 136 देशों में काम करता है। बरामद कार्ड असली है या फर्जी, इसकी पुष्टि होना बाकी है।
Published on:
30 Nov 2024 09:20 am
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