अहमदाबाद. गुजरात विधानसभा चुनाव gujarat assembly election के बीच लोगों में महंगाई, बेरोजगारी का मुद्दा है। इसके साथ शांति की बात भी कही जा रही है।
उत्तर प्रदेश से वर्ष 1965 में अहमदाबाद स्थायी हुए महेन्द्रसिंह रुहेला यहां मिल में नौकरी करते थे। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि महंगाई और बेरोजगारी बढ़ी है लेकिन पिछले कई वर्षों से वे शांति के बीच रह रहे हैं। उन्हें अब कफ्र्यू के बीच घर बैठे रहने का डर नहीं है।
कभी नहीं देखा कफ्र्यू
25 वर्षीय यश राजपूत बताते हैं कि उन्होंने कभी कफ्र्यू नहीं देखा है। हालांकि अहमदाबाद में कफ्र्यू के बारे में सुना बहुत है। उनका मानना है कि महंगाई बढ़ी है लेकिन यह उतनी बेकाबू भी नहीं है। यूपी मूल के यश का कहना है कि वे वोट देने से पहले इन सभी बातों का ध्यान रखेंगे।
अपने मन की सुनकर ही वोट दें
राजस्थान मूल के निवासी प्रदीप सिंह राजपूत का कहना है कि राजनीतिक दलों की नहीं बल्कि अपने मन की सुनकर वोट देने चाहिए। विकास और कार्य तो हर सरकार में हुए हैं और होते रहेंगे। लेकिन उन मुद्दों को भी भलीभांति देखना चाहिए जिनकी जरूरत है। आज अहमदाबाद शांति व्यवस्था वाली छवि का शहर बन रहा है। जिसका संतोष है। एक जमाना था जब यही शहर दंगों के कारण आए दिन सुलगता रहता था।
शांति-भाईचारा अहम
वर्ष 1979 से यूपी से आकर यहां स्थायी हुए वेदप्रकाश का कहना है कि मताधिकार का प्रयोग करते समय लोगों को हर बात का ध्यान रखना चाहिए। इन मुद्दों में सबसे अहम शांति और भाईचारे का है। वे बताते हैं कि अब वे दिन शायद लद गए हैं। वोट देते समय लोगों को यह ध्यान जरूर रखना चाहिए।