बरेली। खेती में लगातार हो रहे रसायनों के प्रयोग से खेत की उर्वरा शक्ति घटती जा रही है जिससे किसानों को उनकी मेहनत का उचित फल नहीं मिल पाता है। खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक जैविक खाद का प्रयोग करने की किसानों से अपील करते हैं। बरेली के तीन युवा किसान इन दिनों किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरूक कर रहे हैं। इन तीनों युवा किसानों ने पहले आईवीआरआई के कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग ली जिसके बाद वो गाँव गाँव जा कर किसानों को जागरूक कर रहे हैं। इन युवा किसानों का कहना है कि जैविक खेती के कारण उनकी आय में बढ़ोत्तरी हुई है और वो अब अन्य किसानों की भी आय बढ़ाने के लिए उन्हें जागरूक कर रहे हैं।
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आईवीआरआई से ली ट्रेनिंग
बरेली के रहने वाले तीन युवा किसान निहाल सिंह, प्रतीक बजाज और राजेंद्र गंगवार आर्गेनिक फार्मिंग में पहचान बना चुके है। इन किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त किया और खेती में उसका प्रयोग कर अपनी आय को बढ़ाया। किसान प्रतीक बजाज ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र में आने के बाद उन्होंने वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन शुरू किया और इसका प्रयोग उन्होंने खेती में किया जिसके बाद उपज में अब बढ़ोत्तरी हुई है। उनका कहना है कि वो अब खेती में केमिकल न के बराबर उपयोग करते है और वो इस बारे में बरेली ही नहीं बल्कि बरेली के बाहर के किसानों को भी जागरूक कर रहे हैं।
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बढ़ गई आय
युवा किसान राजेंद्र गंगवार का कहना है कि उन्होंने तीन साल पहले आईवीआरआई में प्रशिक्षण लिया था और उन्होंने अपने अमरुद के बाग़ में आर्गेनिक फार्मिंग का प्रयोग किया जिससे उनकी आय में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। उनका कहना है कि वो अब अन्य किसानों को भी जैविक खाद के प्रति जागरूक कर रहे हैं।वही केवीके के वैज्ञानिक डॉक्टर बीपी सिंह का कहना है कि आर्गेनिक खेती में इन युवा किसानों ने बहुत अच्छा काम किया है। इस लिए कृषि विज्ञान केंद्र में जब भी कोई प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाता है तो इन किसानों को बुला कर उन्हें दूसरे किसानों से मिलाया जाता है जिससे किसान इन युवा किसानों से प्रेरणा लें और जैविक खेती को अपनाए।
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