बस्सी. शहर की सफाई व्यवस्था को सुधारने के लिए नगरपालिका लगातार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन लापरवाही इतनी है कि कचरा पात्र ही अब कचरे के ढेर में तब्दील हो गए हैं। हाल ही में नगरपालिका ने करीब 90 नए कचरा पात्र खरीदे, जिनमें से प्रत्येक की कीमत 6 हजार रुपए रखी गई। यानी कुल 5 लाख 40 हजार रुपए खर्च कर यह पात्र लगाए गए। लेकिन सफाई कर्मचारी इन पात्रों से कचरा उठाने की बजाय हूपरों में भरकर कचरा सीधे ढेर कर रहे हैं।
नतीजतन मुख्य बस स्टैंड सहित कई जगह ये पात्र खुद कचरे में पड़े नजर आते हैं। (कासं.) 2021 में भी खरीदे थे महंगे पात्र नगरपालिका की कार्यप्रणाली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2021 में भी करीब 100 बड़े कचरा पात्र खरीदे गए थे। बताया जाता है कि इनमें से प्रत्येक की कीमत लगभग 20 हजार रुपए थी। यानी करीब 20 लाख रुपए खर्च किए गए। कुछ महीनों तक इन्हें सार्वजनिक स्थानों पर रख कर इस्तेमाल किया गया, लेकिन बाद में बिना वजह इन्हें स्टोर में पटक दिया गया। कई पात्र समय के साथ खराब हो गए और अब अनुपयोगी पड़े हैं।
सवाल यह है कि जब पहले से इतने महंगे पात्र खरीदे गए थे, तो नए पात्र खरीदने की क्या जरूरत थी? नालों में कचरे के ढेर नगरपालिका के इस दोहरे खर्च के बावजूद सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। शहर की गलियों और सड़कों पर जगह-जगह कचरे के ढेर पड़े हैं। गंगाधाम मोड़ से लेकर मुख्य बस स्टैंड तक बने बड़े नाले की हालत यह है कि उसमें वर्षों से कचरा भरा हुआ है। नाले से उठती दुर्गंध से राहगीर परेशान रहते हैं। बरसात के दिनों में नालों की सफाई के लिए हर साल लाखों रुपए का टेंडर जारी होता है, लेकिन नाले जस के तस भरे रहते हैं।
सवालों पर चुप प्रशासन जब नगरपालिका प्रशासन से पूछा गया कि पहले खरीदे गए कचरा पात्र स्टोर में क्यों रखे हैं, तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। वहीं, नए पात्रों की देखरेख क्यों नहीं की जा रही, इस पर भी अधिकारियों ने गोलमोल जवाब दिया।
इनका कहना है… – शहर में कचरा पात्र कचरे के ढेर में पड़े हैं ऐसी कोई बात नहीं है। यदि कहीं पड़े हुए हैं तो बताएं, वे सही स्थान पर रखवा देंगे। कचरा पात्र कुछ महीनों पहले ही खरीदे थे। पुराने वाले कचरा पात्र कब खरीदे, इसकी उनको कोई जानकारी नहीं है। – दुर्गा शंकर मोर्य, अधिशासी अधिकारी नगरपालिका बस्सी।