18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बस्सी

बाइक की रफ्तार पर घूमी घाणी, शुद्ध तेल की खुशबू ने खींची भीड़

मिलावटी और अशुद्ध खाद्य पदार्थों के इस दौर में लोग एक बार फिर शुद्धता की ओर लौटते नजर आ रहे हैं। खासकर खाद्य तेल को लेकर उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ी है।

Google source verification

बस्सी @ पत्रिका. मिलावटी और अशुद्ध खाद्य पदार्थों के इस दौर में लोग एक बार फिर शुद्धता की ओर लौटते नजर आ रहे हैं। खासकर खाद्य तेल को लेकर उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ी है। सरसों का तेल हो या तिल्ली का, बाजार में मिलावट के बढ़ते खेल ने लोगों का भरोसा फैक्ट्री में बने तेलों से लगभग उठा दिया है। ऐसे में देशी तरीकों से निकाले गए तेल की मांग लगातार बढ़ रही है।

बस्सी शहर में इन दिनों इसी बदलते ट्रेंड की एक अनोखी तस्वीर देखने को मिल रही है। बस्सी चक रोड पर एक व्यक्ति ने कच्ची घाणी लगाकर सरसों और तिल से शुद्ध तेल निकालना शुरू किया है। खास बात यह है कि यहां न तो बड़े आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है और न ही रासायनिक प्रक्रिया अपनाई जा रही है। पारंपरिक तरीके से धीरे-धीरे निकला यह तेल लोगों को शुद्धता का भरोसा दे रहा है।

पहले समय में ऐसी घाणियां बैल या ऊंट से चलाई जाती थी। गांव – देहात में यह आम दृश्य हुआ करता था, लेकिन समय के साथ न बैल रहे और न ही ऊंटों की संख्या पहले जैसी बची। बदलते हालात के साथ इस घाणी ने भी नया रूप ले लिया है। यहां बैल या ऊंट की जगह बाइक से घाणी को घुमाया जा रहा है। देसी सोच और आधुनिक साधन का यह मेल लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

घाणी से निकलते ताजे तेल की खुशबू और सामने बनती प्रक्रिया को देखकर लोग खुद खरीदने पहुंच रहे हैं। कई ग्राहक तो अपनी सरसों और तिल खुद लाकर तेल निकलवा रहे हैं। उनका कहना है कि मिलावट के इस दौर में भले ही देशी घाणी से निकला तेल थोड़ा महंगा पड़े, लेकिन सेहत के सामने कीमत मायने नहीं रखती।

बस्सी में यह तस्वीर साफ संकेत देती है कि आधुनिकता के बीच अब लोग फिर से देशी और शुद्ध विकल्पों की ओर लौट रहे हैं, जहां भरोसा भी है और सेहत भी।