गौरेला-पेंड्रा-मरवाही. छग राज्य महिला आयोग की न्याय पीठ ने आदिजाति कल्याण सभाकक्ष दत्तात्रेय, गौरेला में महिला उत्पीडऩ से संबंधित 15 प्रकरणों की सुनवाई की। वहीं कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडऩ कानून 2013 को प्रभावी रूप से लागू करने तीन माह का समय दिया गया।
आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने पक्षकारों के समक्ष प्रकरणों को सुना और आपसी समझौता के दो प्रकरणों में समझौता पत्र पर दोनों पक्ष से हस्ताक्षर कराकर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। इस दौरान आयोग की सदस्य डॉ अर्चना उपाध्याय, अपर कलेक्टर नम्रता आनंद डोंगरे, उप पुलिस अधीक्षक मीरा अग्रवाल मौजूद थीं।
राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में जिला स्तर पर चौथी सुनवाई हुई। उन्होंने गाली-गलौज, मारपीट, मानसिक प्रताडऩा, लैंगिक उत्पीडऩ, वित्तीय लेनदेन आदि से संबंधित प्रकरणों की और कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडऩ कानून 2013 को प्रभावी रूप से लागू करने जिला प्रशासन को तीन माह का समय दिया है। इसी तरह जिले में आंतरिक परिवाद समिति का गठन करने सुनवाई में उपस्थित अपर कलेक्टर को निर्देश दिए। एक अन्य प्रकरण लोक निर्माण विभाग में केयरटेकर के पद पर कार्यरत आवेदिका और दैनिक वेतन भोगी कम्प्यूटर आपरेटर अनावेदक का रहा। आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ महिला उत्पीडऩ की शिकायत दर्ज कराई थी। यह मामला आंतरिक परिवाद समिति की जांच के विषय हैं। दोनों पक्षों को विस्तार से सुनने पर पता चला अनावेदक ने भी विभाग में शिकायत प्रस्तुत किया है। लेकिन दोनों पक्षों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। दोनों पक्ष पीडब्लू विभाग के ईएनसी कार्यालय के अधीनस्थ कर्मचारी हैं और अब तक कार्यालय में आंतरिक परिवार समिति का गठन नहीं हुआ है।
आयोग ने मामला की गंभीरता को देखते हुए अपर कलेक्टर को यह जिम्मेदारी दिया कि जिला मुख्यालय में उपरोक्त कानून के तहत जिला परिवाद समिति का गठन तत्काल कराया जाये। यह परिवाद समिति जहां पर 10 या उससे अधिक कर्मचारियों के शासकीय एवं अशासकीय सभी संस्थानों पर कराया जाना है। इसके लिए अपर कलेक्टर को 2 माह के भीतर परिवाद समिति का गठन कर आयोग को सूचना देने लिए कहा गया तथा इस प्रकरण में 03 माह के भीतर जांच करा कर प्रतिवेदन आयोग को प्रेषित करने के लिए कहा गया। अन्य प्रकरण में आवेदिका का पति 8 माह पहले दूसरी पत्नी बना लिया, उसे हिस्सा नहीं दे रहा है। आवेदिका को पता नहीं है कि इसका कितना जमीन है, और प्रकरण न्यायालय से संपत्ति दिलाने के योग्य होने से आयोग द्वारा नस्तीबद्ध किया गया।