लोक मान्यता है कि भगवान शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए अपने गले के नाग को सतपुड़ा अंचल के नागद्वारी में छोड़ा था। तभी से यह स्थान नागदेवता का पावन धाम माना जाता है। श्रद्धालुओं को विश्वास है कि नागद्वार में नागदेवता के दर्शन करने से रोग-व्याधियां दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नागपंचमी पर यहां हजारों श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की।