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health : ओपीडी बहिष्कार के कारण सैकड़ों मरीज परेशान, देखिए डीबीएच की हालात

चिकित्सकों के साथ सरकारी अस्पतालों में बढ़ती हिंसा के खिलाफ प्रदेश भर के सरकारी व निजी चिकित्सकों ने सोमवार को ओपीडी कार्य का बहिष्कार कर दिया

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चूरू.

चिकित्सकों के साथ सरकारी अस्पतालों में बढ़ती हिंसा के खिलाफ प्रदेश भर के सरकारी व निजी चिकित्सकों ने सोमवार को ओपीडी कार्य का बहिष्कार कर दिया। अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सा संघ(अरिसदा), इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) तथा निजी चिकित्सा संघ के आह्वान पर चिकित्सकों ने एक दिन की ओपीडी कार्य का बहिष्कार किया। इसके साथ ही मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने दो घंटे पेन डाउन रखा। ओपीडी बहिस्कार की खबर लगने से अस्पतालों में मरीजों की स्थिति भी कम हो गई। लेकिन जो मरीज आए उन्हे परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालांकि हर अस्पताल में आपातकालीन सेवा चालू रही जिससे गंभीर मरीजों को परेशानी नहीं हुई।


जिले में एक मेडिकल कॉलेज अस्पताल, दो उप जिला अस्पताल, 16 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व 98 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सकों ने ओपीडी कार्य का बहिष्कार किया। वहीं ओपीडी बहिष्कार के कारण अस्पतालों में मरीजों की भीड़ कम रही। राजकीय डेडराज भरतिया अस्पताल में सोमवार को जहां ओपीडी दो हजार से 23 के करीब रहती थी वहां इस सोमवार को सात सौ से भी कम रही। इसके साथ ही भर्ती मरीजों की संख्या भी अन्य सोमवार को जहां 100 के पार रहती थी वहां इस सोमवार को 40 से भी अधिक नहीं हुई। दो सिजेरियन प्रसव व चार सामान्य प्रवस तथा दो डीएनसी कराई गई। इसके अलावा एक अन्य आपातकालीन ऑपरेशन किया गया।


अरिसदा के प्रदेशाध्यक्ष डा. अजय चौधरी ने कहा कि अस्तालों में चिकित्सकों के साथ आए दिन हो रही हिंसा को रोकने के लिए सरकार को सुरक्षा कानून बनाने होंगे। यदि हिंसा को रोकने के लिए कठोर कानून नहीं बना तो चिकित्सक गंभीर मरीजों का उपचार करने के किनारा कर लेगा। चूंकि अति गंभीर मरीजों के बचाना बहुत मुश्किल होता है, डॉक्टर उसे बचाने का काम करता है और नहीं बचा पाता है तो उसके साथ अमानवीय व्यवहार नहीं होना चाहिए। इससे गंभीर स्थिति में काम करने वाले चिकित्सकों का मनोबल टूटेगा जो मरीजों के हित में नहीं है। वहीं आईएमए के जिलाध्यक्ष डा. बीएल नायक ने कहा कि डाक्टरों की सुरक्षा के लिए अब कठोर कानून बनाने की सख्त जरूरत है। असुरक्षा के माहौल में चिकित्सक काम नहीं कर पाएंगे। कोलकाता में मरीजों के परिजनों ने चिकित्सक के साथ जो कृत्य किया वह बहुत ही घटिया कृत्य है। चिकित्सकों को हक व अधिकारों के लिए सड़क पर उतरना नहीं पड़े इसके लिए सरकारों को पूरा ख्याल रखना चाहिए।


इनका कहना है


”अस्पताल में दो घंटे तक मरीजों को कुछ परेशानी हुई। हालांकि इस दौरान भी आपातकालीन सेवा चालू थी। लेकिन 10 बजे से मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने ओपीडी संभाल ली। इसके बाद मरीजों को कहीं पर भटकना नहीं पड़ा। ओपीडी के अलावा अन्य कार्य बाधित नहीं हुआ। भर्ती मरीजों का उपचार किया, ऑपरेशन भी किए गए, प्रसव भी कराए, सिजेरियन प्रसव भी कराए गए। जांच का काम भी सुचारू रूप से जारी रहा।”
डा. गोगाराम दानोदिया, अधीक्षक डीबी अस्पताल, संबंध पीडीयू, मेडिकल कॉलेज


”जिन अस्पतालों में आयुष चिकित्सक हैं वहां पर उन्हे ओपीडी में बैठाया गया। इसके अलावा हर अस्पताल में आपातकालीन सेवा में चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई थी। अस्पताल में आने वाले मरीजों को निराश नहीं लौटना पड़ा। ओपीडी के अलावा कोई कार्य बाधित नहीं हुआ।”
डा. मनोज शर्मा, सीएमएचओ, चूरू


चिकित्सक के ओपीडी बहिष्कार से रोगी परेशान


राजलदेसर. राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सोमवार को चिकित्सकों के ओपीडी बहिष्कार के कारण मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी। चिकित्साधिकारी प्रभारी संजय बुंदेला ने बताया कि पश्चिम बंगाल में डाक्टर्स के साथ मारपीट तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विवादास्पद बयान के विरोध में सोमवार को हस्ताक्षर कर पेनडाउन कर हड़ताल की गई। ओपीडी सेवाएं बंद रखी गई। डां. बुदेला ने बताया कि इस दौरान आपातकालीन सेवा जारी रही। सीएचसी में दो डिलेवरी व एक पोस्टमार्टम करवाया गया। पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लाए गए दो अपराधियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया तथा वार्ड में भर्ती रोगियों का उपचार किया गया।