ताल मैदान में नौ दिवसीय वाल्मीकि राम कथा
चूरू. सरदारशहर. ताल मैदान में चल रही नौ दिवसीय वाल्मीकि राम कथा का वाचन करते हुए संत त्र्यंबकेश्वर चैतन्य महाराज ने कहा कि विश्वास, श्र्रद्धा और भक्ति से ही ईश्वर प्राप्ति संभव है। मां दुर्गे की आराधना मातृशक्ति की आराधना है। मां दुर्गा चारो वर्णों की मां है। मानव जीवन भोग के लिए नहीं बल्कि योग के लिए है। मानव जीवन में विपत्तियों का सामना करना चाहिए। हर परिवार अपने कुल की बेटियों को अच्छे संस्कार प्रदान करे, उन्हें संस्कारवान बनाएं ताकि कुल की नाक कटने जैसी स्थिति का सामना न करना पड़े। इससे पूर्व आचार्य पण्डित बालकृष्ण कौशिक ने हनुमान चरित्र का पठन किया गया। इस अवसर पर सभापति राजकरण चौधरी, क्रय विक्रय सहकारी समिति के चेयरमेन लालचंद छीरंग आदि का सम्मान करवाया गया।
जीवन में पाप और पुण्य का रहता है प्रभाव- प्रहलाद महाराज
रतनगढ़. मनुष्य जीवन में पाप और पुण्य का ही प्रभाव रहता है। मनुष्य जन्म से ब्रह्मलोक तक पाप पुण्य ही साथ चलते हैं । मानव जन्म में ही हम पाप पुण्य कमा सकते हैं। आपके आचरण से किसी को सुख मिलता है तो वह पुण्य है, दुख: मिलता है तो वह पाप है। यह बात आर्या पब्लिक स्कूल में चल रही भागवत कथा के दौरान प्रहलाद महाराज ने कही। उन्होंने गुप्त दान की महिमा पर बोलते हुए कहा कि भगवान मनुष्य को छुपाकर देता है । मनुष्य पेपर में छपवाकर देता है, फिर भी मन नहीं भरता है तो संगमरमर पर लिखा कर देता है। छपाने की अपेक्षा छुपाकर दान देना सीखो । उन्होंने गौ माता पर बोलते हुए बताया कि जीवों का पालन करना अच्छी बात है पर इनमें गौ पालन सर्वश्रेष्ठ है। गौ माता के शरीर में तैतीस कोटी देवता, कोटी का अर्थ प्रकार होता है निवास करते हैं। गौ दूध क्रिया का फल नहीं, वात्सल्य है। इसके दूध में बड़ी विलक्षणता है। गौमाता सभी को सुख, समृद्धि व आरोग्य प्रदान करने वाली है। भागवत कथा शुरू होने से पूर्व कथा आयोजक अंबिकाप्रसाद हरित अनुराग हरित ने व्यास पीठ पर रखी भागवत की पूजा अर्चना की। कथा में दीपक नागौरी द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी पर राधा, रुकमणी विवाह की सजीव झांकियां भी सजाई गई। श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह पर धर्म श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।