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कलक्टर बनने के ख्वाहिशमंद मनरेगा मजदूर के बेटे ने गाड़े सफलता के झंडे

12th Result of Rbse : जब मुश्किलों के पहाड़ों पर चढकऱ ऊंचाई छूने का ख्वाब पाला जाए तो आदमी का हौसला भी चट्टान जैसा मजबूत होना चाहिए।

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कलक्टर बनने के ख्वाहिशमंद मनरेगा मजदूर के बेटे ने गाड़े सफलता के झंडे
– बारहवीं कला संकाय में हासिल किए 99 प्रतिशत अंक
– सरकारी विद्यालय के होनहार की सफलता से चमका गांव का नाम
हनुमानगढ़/गोलूवाला. जब मुश्किलों के पहाड़ों पर चढकऱ ऊंचाई छूने का ख्वाब पाला जाए तो आदमी का हौसला भी चट्टान जैसा मजबूत होना चाहिए। गांव 35 एलएलडब्ल्यू के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के भूपेन्द्र सिंह का भी हौसला और मेहनत ऐसी है कि आसमान छूने से कोई नहीं रोक सकता। गांव दो टीकेडब्ल्यू निवासी मनरेगा मजदूर राम सिंह के बेटे भूपेन्द्र ने विपरीत आर्थिक हालात को दरकिनार कर बारहवीं कला संकाय में 99 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। आईएएस अफसर बनने का ख्वाहिशमंद भूपेन्द्र अपनी सफलता का श्रेय माता इकबाल कौर व पिता राम सिंह तथा गुरुजनों को देता है। कला संकाय में कोरोना काल में बिना परीक्षा विशेष फार्मूले से परिणाम जारी करने को छोड़ दिया जाए तो इससे पहले जिले के इतिहास में 99 प्रतिशत अंक किसी भी निजी व सरकारी विद्यालय के विद्यार्थी ने हासिल नहीं किए हैं। भूपेन्द्र की इस सफलता पर उनके घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। मजदूर पिता राम सिंह बेटे की कामयाबी से बेहद प्रसन्न हैं।
पांच से सात घंटे पढ़ाई
राजस्थान पत्रिका से बातचीत में भूपेंद्र सिंह ने बताया कि प्रतिदिन पांच से सात घंटे नियमित अध्ययन करता था। विद्यालय के प्रधानाचार्य महेश मान्झू सहित पूरा स्टाफ खूब सहयोग करता था। विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद माता-पिता ने हमेशा पढ़ाई जारी रखने को प्रोत्साहित किया। इन सबकी बदौलत ही आज यह मुकाम हासिल हो सका है। भूपेन्द्र ने बताया कि निरंतर कड़ी मेहनत जारी रखकर आईएएस अधिकारी बनना चाहता हूं। समाज के जरूरतमंद लोगों की मदद करना चाहता हूं।
तो नहीं कर सका विज्ञान की पढ़ाई
होनहार भूपेंद्र सिंह की चाह विज्ञान संकाय से अध्ययन करने की थी। मगर गांव के विद्यालय में केवल कला संकाय ही स्वीकृत है। जबकि निजी विद्यालय में अध्ययन की अनुमति घर के हालात नहीं दे रहे थे। यही स्थिति अन्यत्र जाकर पढऩे को लेकर थी। ऐसे में भूपेन्द्र ने मजबूरीवश ही कला संकाय में प्रवेश लेकर पढ़ाई की। उसकी इच्छा है कि गांव के विद्यालय में विज्ञान संकाय स्वीकृत किया जाए ताकि किसी और बालक को ऐसी स्थिति का सामना करना ना पड़े।