18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जयपुर

अलकनंदा ने नृत्य की ताकत से जीती कैंसर की जंग

यदि मेरे जीवन में नृत्य नहीं होता, तो शायद मैं कैंसर से टूट जाती। कथक करके मुझे जो ऊर्जा मिलती है, उससे हर मुश्किल का पूरी ताकत से सामना करती हूं। यह कहना है प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना अलकनंदा दास गुप्ता का।

Google source verification

अलकनंदा ने बताया कि जब उन्हें पहली बार बीमारी का पता चला तो डॉक्टर ने उन्हें तुरंत सर्जरी करवाने के लिए कहा, लेकिन उनके लिए सर्जरी से ज्यादा महत्त्वपूर्ण तीन सप्ताह बाद 60 कलाकारों के साथ कथक प्रस्तुति थी। अपनी तकलीफ को भूलकर उन्होंने कार्यक्रम की तैयारियों में दिन-रात एक कर दिए।

पहली सर्जरी करीब 12 घंटे चली, तब पता चला कि उन्हें ओवेरियन कैंसर है। इस सर्जरी के कुछ समय बाद ही डॉक्टर ने ओपन सर्जरी की बात कही, जिसमें उन्हें 36 टांके लगे, लेकिन उन्होंने खुद को टूटने नहीं दिया और सर्जरी के 12 दिन बाद ही कमर पर बेल्ट लगाकर कथक की प्रस्तुति दी। इसके बाद 6 कीमोथैरेपी चली, लेकिन अलकनंदा के कदम नहीं रुके और उन्होंने इस दौरान करीब 15 मंच प्रस्तुतियां दीं। उन्होंने बताया कि वह 4 साल की उम्र से कथक कर रही हैं और अब उन्हें कथक करते हुए 44 साल हो गए। सिंगल मदर के रूप में दो बच्चों की परवरिश करते हुए नोएडा में अलकनंदा इंस्टीट्यूट शुरू कर पिछले 32 सालों से कथक का प्रशिक्षण भी दे रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का मान बढ़ाया
अलकनंदा वर्ष 2019 से चुनाव आयोग, नई दिल्ली की स्टेट आइकन होने के साथ ही वर्ष 2021 से राज्य में स्वच्छ भारत अभियान की ब्रांड एंबेसडर भी हैं। उन्हें साहित्य कला अकादमी की ओर से शृंगारमणि, सर्वश्रेष्ठ नृत्यांगना सहित कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान भी मिल चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय उत्सवों में देश का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही वह विदेशों में डांस वर्कशॉप का आयोजन भी कर चुकी हैं।