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जयपुर

भीख मांगने वाले हाथ अब बना रहे मकान

Beggar free Jaipur Project : भीख कोई भी खुशी से नहीं मांगता, मजबूरी भीख मांगने को विवश कर देती है। यदि सही राह और अवसर मिले तो इस दलदल में पड़े व्यक्ति का भी जीवन बदल सकता है। शहर में अलग-अलग चौराहों पर कुछ महीने पहले तक भीख मांग रहे लोगों का जीवन कुछ इस तरह ही बदला है। भीख मांगने वाले हाथ अब काम में जुटे हुए हैं। कोई चौकीदारी कर रहा है तो कोई गोसेवा, कोई दूसरों का आशियाना बनाकर रोजी-रोटी कमा रहा है।

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Beggar free Jaipur Project : भीख कोई भी खुशी से नहीं मांगता, मजबूरी भीख मांगने को विवश कर देती है। यदि सही राह और अवसर मिले तो इस दलदल में पड़े व्यक्ति का भी जीवन बदल सकता है। शहर में अलग-अलग चौराहों पर कुछ महीने पहले तक भीख मांग रहे लोगों का जीवन कुछ इस तरह ही बदला है। भीख मांगने वाले हाथ अब काम में जुटे हुए हैं। कोई चौकीदारी कर रहा है तो कोई गोसेवा, कोई दूसरों का आशियाना बनाकर रोजी-रोटी कमा रहा है।

यों बदली जिंदगी

1. मैं दो सौ फीट पुलिया के नीचे रहता था और भीख मांग कर गुजारा करता था। पुलिस ने एक-डेढ महीने पहले रेस्क्यू किया। अब झोटवाड़ा में चौकीदारी का काम कर रहा हूं। सात हजार रुपए वेतन मिलता है। इसके अलावा रहना-खाना भी मिलता है।– राकेश पांडे, चौकीदार

2. गांव से काम के लिए जयपुर आया था। जब काम नहीं मिलता था तो भीख मांगने लगा। एक दिन संस्था के लोगों ने मुझे रेस्क्यू किया और काउंसलिंग हुई। अब कारीगर (मकान बनाने का) का काम कर रहा हूं। रहने-खाने की भी जगह है। दिन के 400-500 रुपए वेतन मिलता हैं। – उमराव सिंह, कारीगर

 

– मैंने महीने भर पहले ही भीख मांगना शुरू किया था। रेस्क्यू करके संस्था में लाया गया। मैंने भी दूसरे साथियों के साथ बेलदारी करना शुरू कर दी है। दिन के 500-600 रुपए मिल जाते हैं। काम करके खुश हूं।– नसीब अहमद, कारीगर

 

चार महीने से चल रहा पुनर्वास कार्यक्रम

जिला प्रशासन ने करीब चार महीने पहले पुनर्वास कार्यक्रम शुरू किया था। शहर में चार अलग-अलग स्थानों पर पुनर्वास गृह चलाए जा रहे हैं। भिखारियों के रेस्क्यू से लेकर मेडिकल सुविधा, काउंसलिंग आदि की सुविधाएं दी जा रही हैं।

 

इन स्थानों पर चल रहे पुनर्वास गृह

– आश्रय स्थल, दूधमंडी, पानीपेच

– नांगल जैसा बोहरा झोटवाड़ा

– आश्रय स्थल, सांगानेर
– पुराना पंचायत भवन, भांकरोटा

सस्थाएं अपने स्तर पर बना रही कुशल
रेस्क्यू के बाद समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए उन्हें कौशल प्रशिक्षण दिया जाना था। इसके लिए कौशल विकास विभाग ने अभी तक कोई प्रशिक्षण नहीं दिया है, बल्कि संस्थाएं अपने स्तर पर ही प्रशिक्षण दे रही हैं। झोटवाड़ा में पुनर्वास गृह चला रहे गिर्राज सिंह शेखावत ने बताया कि संस्था ने अभी तक 300 भिखारियों का रेस्क्यू किया और इनमें से ५० लोगों को रोजगार मुहैया करवाया है।