नई दिल्ली। अमेरिका से खरीदे गए चिनूक हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिए गए हैं। वायुसेना प्रमुख बी. एस. धनोआ ने कहा कि इन हेलीकॉप्टरों और इसी साल शामिल होने जा रहे लड़ाकू विमान राफेल से वायुसेना को मजबूती मिलेगी। वायुसेना ने बताया कि सोमवार को चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर एक समारोह में चार चिनूक हेलीकॉप्टरों को वायुसेना में शामिल किया गया। अमेरिका से 1.5 अरब डॉलर में कुल 15 चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदे गए हैं जिनमें से चार की खेप सोमवार को चंडीगढ़ पहुंची। चिनूक बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर है जिनका उपयोग दुर्गम और ज्यादा ऊंचाई वाले स्थानों पर जवानों, हथियारों, मशीनों तथा अन्य प्रकार की रक्षा सामग्री को ले जाने में किया जाएगा। ये 20 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकते हैं तथा 10 टन तक का वजन ले जा सकते हैं।
चिनूक का निर्माण बोइंग कंपनी करती है। हालांकि ये 1962 से प्रचलन में हैं। लेकिन बोइंग ने समय-समय पर इनमें सुधार किया है, इसलिए आज भी करीब 25 देशों की सेनाएं इनका इस्तेमाल करती हैं। खुद अमेरिका इनका महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में इस्तेमाल करता है। अमेरिका ने जब पाकिस्तान में घुसकर लादेन का खात्मा किया था तो चिनूक हेलीकॉप्टरों का ही इस्तेमाल किया था।
‘चिनूकÓ की तैनाती चंडीगढ़ में
वायुसेना को जल्दी ही अपाचे अटैक हेलीकॉप्टरों की भी आपूर्ति होने वाली है। चिनूक के साथ ही रक्षा मंत्रालय ने 2015 में 22 अपाचे हेलीकॉप्टरों की खरीद को भी मंजूरी दी थी। जिनकी आपूर्ति भी सितंबर से शुरू हो जाएगी। इस प्रकार चिनूक, अपाचे और राफेल वायुसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होंगे। चिनूक की तैनाती चंडीगढ़ और अपाचे की पठानकोट में होगी।
‘चिनूकÓ हेलीकॉप्टर की खासियत
-यह रात में भी उड़ान भरने और ऑपरेशन करने में सक्षम होते हैं
-किसी भी मौसम में उपयोग किया जा सकता है
-सभी प्रकार के परिवहन में इस्तेमाल किया जा सकता है
-असैन्य कार्यों जैसे आपदा प्रबंधन और आग बुझाने में भी इस्तेमाल संभव
-इनमें विमान की भांति एकीकृत डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट सिस्टम है
-इस हेलीकॉप्टर को अमेरिकी कंपनी बोइंग ने तैयार किया है
-11 टन पेलोड और 45 सैनिकों का भार वहन करने की क्षमता है चिनूक में