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Video : जयपुर की हालत नाजुक, डेढ़ साल में दो मीटर तक नीचे पहुंचा भूजल स्तर

गर्मी में परेशान करने वाले हालात...दो हजार अवैध ट्यूबवेलों से पानी का अवैध दोहन कर चांदी कूटी जा रही

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जयपुर। बेतरतीब तरीके से भूजल दोहन ने जयपुर को पानी की समस्या मामले में रडार पर खड़ा कर दिया है। चिंताजनक यह है कि पिछले डेढ़ साल में अधिकतम 2 मीटर से ज्यादा भूजल स्तर गिर चुका है। यहां से 16 में से 15 ब्लॉक अतिदोहित हैं और एक क्रिटिकल स्थिति में है। इसके बावजूद जयपुर शहर में ही करीब दो हजार अवैध ट्यूबवेलों से पानी खींचकर चांदी कूटी जा रही है। इसके बावजूद जिला प्रशासन और भूजल विभाग अवैध तरीके पानी का कारोबार करने वाले लोगों पर सख्त एक्शन नहीं ले रहा है। उलटे, पानी टैंकर संचालन, आरओ प्लांट, होटल-रिसोर्ट से लेकर कई औद्योगिक भवन परिसर में हर दिन 13 करोड़ लीटर (अनुमानित) पानी का उपयोग हो रहा है। यह पानी अवैध तरीके से जमीन में से खींचा जा रहा है। इसमें से 2 से 3 करोड़ लीटर पानी अकेले निजी टैंकरों से बेचा जा रहा है। इस अंधाधुंध दोहन से कार्बन उत्सर्जन बढ़ता जा रहा है जो कई बीमारियों को जन्म दे रहा है।

छूट की आड़ में खोदे जा रहे अवैध ट्यूबवेल
सरकार ने घरेलू और कृषि उपयोग के लिए बिना अनुमति ट्यूबवेल खुदाई की छूट दे रखी है। इसकी आड़ में व्यावसायिक गतिविधि के लिए धड़ल्ले से ट्यूबवेल खोदे जा रहे हैं। इस पर प्रशासन भी आंख मूंदे हुए है।

यह है स्थिति
जयपुर शहर के तीन ब्लॉक झोटवाड़ा, सांगानेर और आमेर ब्लॉक की बेहद खराब स्थिति है। वहीं, बस्सी, चाकसू, दूदू, गोविन्दगढ़, जमवारामगढ, कोटपुतली, सांभर, शाहपुरा भी अतिदोहित श्रेणी में है। एक ब्लॉक क्रिटिकल श्रेणी में है, यह फागी इलाका है।

जयपुर का भूजल स्तर
-1.58 मीटर (न्यूनतम) भू-सतह से नीचे
-91.28 मीटर (अधिकतम) भू-सतह से नीचे
-11.61 प्रतिशत 5 से 10 मीटर के बीच
-21.43 प्रतिशत 10 से 20 मीटर के बीच
-20.54 प्रतिशत 20 से 40 मीटर के बीच
-45.54 प्रतिशत 40 मीटर से अधिक
(भूजल विभाग के अनुसार)

हम भी निभाएं जिम्मेदारी तो बने बात
-रूफटॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाएं, जिससे बारिश का पानी सहेजा जा सके। अभी 225 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल के भूखंडधारियों को हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना अनिवार्य हैं, लेकिन हो कुछ नहीं रहा।
-रसोई, बाथरूम के पानी को सिंचाई के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है। कई लोग इस पर काम कर रहे हैं।
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जयपुर में करीब-करीब भूजल भंडार समाप्ति की ओर है। केंद्रीय भूजल बोर्ड की हाल ही रिपोर्ट में तो सभी 16 ब्लॉक अतिदोहित श्रेणी ने सामने आए हैं। डेढ़ वर्ष में ही दो मीटर तक भूजल स्तर गिरना खतरे की घंटी है।ल भूजल स्त्रोत को बचाने के लिए यह जरूरी है कि हम बड़े पैमाने पर वर्षा के पानी को रिचार्ज करें। रूफटॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग के अतिरिक्त स्टॉर्म वाटर (जो नालों में बह जाता है) के संचयन करने की बहु जरूरत है।इससे न केवल भूजल स्तर में वृद्धि होगी बल्कि पानी की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। साथ ही बरसात का पानी इकट्ठा नहीं होने से सड़कों की मरम्मत पर होने वाले खर्चे में बहुत अधिक कमी आ सकती है। इसके अतिरिक्त वर्षा जल के जमाव की समस्या से हमारे शहरों को निजात मिल सकती है इसके लिए स्पेशल डिजाइन स्ट्रक्चर है।
-डॉ. एस. के. जैन, वरिष्ठ भूजल विशेषज्ञ