जयपुर. जयपुर राजघराना (Jaipur Royal Family) आज भी धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है। सिटी प्लेस (City Palace) प्रबंधन के मुताबिक गुरु गोबिंद सिंह (Guru Gobind Singh) ने कुछ समय हिमाचल प्रदेश के नाहन में व्यतीत किया। तब नाहन छोड़ते समय उन्होंने अपनी निजी तलवार तत्कालीन शासक को स्मृति चिन्ह के रूप में 338 साल पहले बखशीश के रूप में भेंट की। नाहन की रहने वाले पूर्व राजमाता पद्मिनी देवी शादी होने के बाद तलवार को जयपुर लेकर आई। तब से यह तलवार सिटी पैलेस में आज भी सुरक्षित है। रोजाना तलवार की पूजा विधिवत रूप से पूजा घर में की जाती है। इसके साथ ही सिख धर्म के प्रति भी पूरा सत्कार है। समाजजनों के मुताबिक सन् 1699 में गुरु ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने सर्वप्रथम पांच प्यारों को अमृतपान करवा कर खालसा बनाया। उन पांच प्यारों के हाथों से स्वयं भी अमृतपान किया। गुरु के नारे जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ और ‘वाहेगुरू जी का खालसा – वाहेगुरू जी की फतह’। ये नारे सिख धर्म की पहचान हैं।
शहरवासियों, सैलानियों ने देखी कृपाण
आमजन के दर्शनों के लिए यह ऐतिहासिक कृपाण सिटी पैलेस के सर्वतोभद्र चौक में रखी गई। इस दौरान बनीपार्क सुखमनी सेवा सोसायटी के सदस्यों ने शबद कीर्तन व अरदास की। सोसायटी अध्यक्ष पिंकी सिंह ने बताया कि कार्यक्रम में मेरा बैद गुरु गोबिन्दा, वाह वाह गोबिन्द सिंह आपे गुरू चेला शबदों का गायन किया। सिंह ने बताया कि सोसायटी के पाठ ग्रुप ‘आपणी मेहर कर’ के सदस्यों ने गुरू जी की बाणी चौपई साहिब के 7,700 पाठ किए। सचिव सूर्य उदय सिंह ने ‘कृपाण’ के इतिहास के बारे में बताया। रमा दत्त, रीमा हूजा और रामू रामदेव भी मौजूद रहे।