जयपुर।
यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज सूची में जयपुर परकोटे को शामिल करने से जयपुराइट्स में खासा उत्साह है। ऐसे में पत्रिका ने शुरू की है ‘परकोटे की परिक्रमा’ इस परिक्रमा पर पत्रिका टीवी के रिपोर्टर रोजाना परकोटे में जाकर आपके सामने ला रहे है परकोटे से जुड़ी दिलचस्प जानकारियां। आज आपको दिखाते हैं ब्रह्मपुरी के ऐतिहासिक दार्शनिक स्थलों के बारे में
ब्रह्मपुरी गढ़ गणेश मंदिर…
प्रथम पुज्य गणेश जी जिनकी पूजा के बाद ही किसी भी कार्य की शुरूआत कि जाती है। जब महाराजा सवाई जयसिंह जी ने अश्वमेघ यज्ञ करवाया तब सर्वप्रथम गणेश जी की पुजा की गई। उन प्रथम पुज्य गणेश जी को जयपुर शहर के उत्तर दिशा में स्थित पहाड़ी पर स्थापित किया गया। इन गणेश जी को गुजराज से लाया गया था। गढ़ गणेश जी मंदिर के महंत प्रदीप कुमार औदिच्य ने बताया की उनके पूर्वजों को इस यज्ञ में मय गणेश जी आमंत्रित किया गया था। उस अश्वमेघ यज्ञ में गणेश जी महाराज को पूजित करके यहां पर स्थापित किया गया था उसके बाद जयपुर शहर की नींव लगाई थी। गणेश जी को यहां पहाडी पर इसलिए बैठाया गया की महाराज खुद सिटी पैलेस में नियमित गणेश जी के दर्शन करते थे और दुसरी बात जनता के उपर भी गणेश जी महाराज की कृपा बनी रहे। आज भी परकोटे के लोग अपने नियमित कार्यों के लिए निकलते हैं तो गणेश जी ओर मुख करके दर्शन करके अपने काम पर निकलते हैं। ये गणेश जी की प्रतिमा वो प्रतिमा हैं जो पुरूषआकार में बाल स्वरूप प्रतिमा है। पूरे भारत वर्ष में यह पहला मंदिर हैं जहां इस तरह के बाल स्वरूप गणेशजी है।
नहर के गणेश जी…
नाहरगढ़ की पहाड़ियों की तलहटी में मौजूद है नहर के गणेश जी… यहां पहले के दौर में नहर बहती थी जिस कारण इस मंदिर का नाम नहर के गणेश जी रखा गया। मान्यता है। यहां मौजूद गणेश जी की मूर्ति भस्म से बनी हुई है। वर्तमान मंदिर महंत की 5 पीढ़ी पूर्व ब्रम्हचारी बाबा जी ने इस मूर्ति का निर्माण किया था। यह मंदिर 250 से 300 साल पुराना बताया जाता है। ब्रम्हचारी बाबाजी नियमित गणेश जी का यज्ञ किया करते थे। उस यज्ञ की भस्म से यहां गणेश जी मूर्ति तंत्र विधान से स्थापित कि गई। यहां मौजूद गणेश जी मूर्ति दाहिने सूंड वाले गणेश जी के नाम प्रसिद्ध है।
दार्शनिक स्थलों तक पहुंचने के लिए ब्रह्मपुरी के पुराने बाजारों से हो कर जाना पड़ता है इन बाजारों में भी सुविधाओ का आभाव है बारिश के मौसम में इन बाजारों में 2 से 3 फुट तक जल भराव की समस्या बन जाती है। जिस कारन आम लोगो का निकल पाना भी मुश्किल हो जाता है…अब देखना यह होगा धार्मिक पर्यटन के लिए जयपुर हेरिटेज के लिए इनका कितना विकास होता है