अंगदान से केवल एक मरीज नहीं…..बल्कि पूरे परिवार को नई जिंदगी मिलती है…. कहते हैं अंगदान से बड़ा कोई दान नहीं होता….हर साल कई लोग इस वजह से मौत के मुंह में समा जाते हैं, क्योंकि उन्हें कोई डोनर नहीं मिल पाता….लेकिन राजस्थान के कोटा से प्रसाशन की एक ऐसी लापरवाही सामने आई है जिसने एक मजबूत पिता के धैर्य तोड दिया….युवा बेटे को जब डॉक्टर्स ने ब्रेनडेड घोषित कर दिया तो एक पिता पर क्या गुजरी होगी इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है….इसके बाद भी प्रशासन के कहने पर कि पिता ने अंगदान को लेकर सहमति दी…प्रशासन ने कहा कि हम कोटा में ही अंगदान करवा देंगे, लेकिन एनवक्त पर मना कर दिया…इसके बाद विशाल को जयपुर लाया गया जहां पर भी अंगदान नहीं हो सके….
ऐसे में सवाल उठता है कि एक ओर तो सरकार-प्रशासन होर्डिंग-बैनर के जरिए अंगदान महादान जैसे नारे देकर आमजन को मृत्यु के बाद अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करती है, लेकिन जब किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसके परिजन अंगदान करना चाहते हैं तो प्रशासन का ही ढीला रवैया उसे ऐसा करने से रोक देता है….ऐसे में अंगदान के होर्डिंग-बैनर लगाकर प्रोत्साहित करना महज दिखावा मात्र बनता जा रहा….सरकार और प्रशासन का अगर ऐसा ही रवैया रहा तो आने वाले समय में लोग अंगदान करना ही छोड़ देंगे…